'जाकी रही भावना जैसी'
आज पढ़ेंगे जब साहिर लुधियानवी और शकील बदायुनी में 'ताजमहल' को लेकर ठन गई-
खामोशियाँ खलती है यें, शोर भी भाता नहीं
बात करें तो किससे करे,
किताबों सा कोई बतियाता नहीं
ना बनाओ ताज मोहब्बत में, फना होने का इरादा भी नहीं
मुझे जीना है सदा के लिए,
लिख दो किसी कविता में कहीं-
सुनो मुझे देखकर तुम जो हल्का सा शर्माती हो
मेरे दुश्मन को छोड़ो मेरे दोस्तों को भी जलाती हो
और दिन पे दिन निखरता जा रहा है हुस्न तुम्हारा
जान बताओ न कौन से चक्की का आटा खाती हो-
ताज के कदमों में दफन है मोहब्बत साहिब,
और लोग चांदनी रात में मीनारों को निहारते हैं...-
मोहब्बत को नसीब,अगर तेरा साथ हो जाए
मेरा छोटा सा आशियाना, भी ताज हो जाए ।-
गुरुर तो ताज का भी टूटा होगा
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मुझे जरूरत नहीं
बनाये थे जो ख्वाब में हमनें, इस प्यार की तो वो मूरत नहीं।
गिला है तुमको ये निशानी, ताजमहल सी खूबसूरत नहीं।
मरती थी न मुझपे तुम भी, फिर ये बदला हुआ रंग क्यूँ
इजहार कहीं इकरार कहीं, ऐसे प्यार की हमें हसरत नहीं।
खर्च किया मैंनें खुद को तुझपे, पर तुम्हे गंवारा ना हुआ
ना हो कद्र जहाँ हमदम का, फिर वो असली मोहब्बत नहीं।
वादा करके जिंदगी साथ बिताने का, अब यूँ मुकर रही हो
नींव में खोखलें वादे हों गर, फिर तो मजबूत वो इमारत नहीं।
नसीब में ही नहीं तू शायद, मांगा तो था दिन रात खुदा से
अब नहीं सजदा किसी दर पे, तू नहीं तो तेरी इबादत नहीं।
तुम्हें कोई और पसंद है, जाओ खुश रहना उसके साथ
तुझे अब मेरी जरूरत नहीं, तो मुझे तेरी जरूरत नहीं।-
तेरे बिछड़ने के अंदाज़ से जीत सकता हूँ मैं,
रास्ते का कांटा ख़ुद भी हटा सकता हूँ मैं..
मेरे रुमाल पर लिखा था कभी तुमने love is my passion,
आज भी उस love को निभा रहा हूँ मैं..
तुमने ताजमहल वाला एक कार्ड दिया था मुझको,
उस ताजमहल में इश्क़ के निशां दिखा सकता हूँ मैं..
किसने कहा दूरियों में रिश्ते कमजोर होते है,
जब चाहूँ अपने साँसों से प्रेम जता सकता हूँ मैं..
नाराज़गी कितनी भी हो मेरे दिए तोहफ़ों को ना जलाना,
मेरा क्या मैं प्रेम का वो समन्दर हूँ
जो तुझे कभी भी याद आ सकता हूँ मैं..!-
झोपड़ियों में कहां बसता है इश्क "शहजादी"
ताजमहल की बात तो अगले जन्म में करूंगा।-
प्रेमियों की एक आस है ताजमहल
मकबरा ये प्रेम की सौगात है
शाहजहां मुमताज के अमरत्व का विश्वास है
इतिहास की धरोहर भी है
पर्यटकों की पसंदीदा जरूरत भी है
ताजमहल की नक्काशी कलाकृति का बेजोड़ नमूना है
दुधिया रौशनी में नहाए संगमरमर के वो तराशे पत्थर
नित प्रेम की नई परिभाषा गढ़ते हैं।-