कि तुझसे रूठ जाए
बस तल्खी से थोड़ा परहेज है
मजाल है कि कोई मुझे रुलाए-
पर बेमानी सा लगता है।
हर पल को जी भर जिए तो
जिंदगी परियों की कहा... read more
नजरों से पूछिए
लब तो आशिकी के गुलाम थे
अदाएं चुप खड़ी थी
हम तो इश्क के कद्रदान थे-
बताना क्यूँ है
चाहत बरकरार है
जताना क्यूँ है
धड़कन धड़कती है
इल्जाम दिल पर लगाना क्यूँ है
बोलने की कला के बेताज बादशाह है वह
मौन धारण कर उन्हें हराना क्यूँ है।-
संतुलन की डगमग को
खेलते है खेल हम ऊबड़खाबड़ रास्तों पर
दलदल से भय खाते है चिकनी सड़कों पर
कदम आजमाते हैं हम
फिसलन हमें संभलने का गुर सिखाता है-
सफर में हूँ मैं
जिंदगी की डोर को पकड़ी रही
जिंदगी के अंतिम छोर से डरती रही
ज्ञात है मुझे सफर मंजिल का राही है।-
मुझे मुझ जैसा करो
तुम अपनी रहने दो न
मेरी कथानक तुम बनो
कुछ न करो बेशक मुझमें रहो-
एक बच्ची जिंदा है
जब जब मेरी उम्र मुझे डराती है
मन के झरोखे से नन्हीं परी
समय को अंगूठा दिखाती है-
शुक्रगुजार होती हूँ उन दिनों का
जिसने मुझे राह दिखाया
तिमिर से लड़ने का-
बस झल्ली ही हूँ
अनगढ़ होना बेहद भाता है
अलहदा इंसां भीड़ में भी नजर आता है-