मैं तुम्हें गुलाब नही दूंगी दूंगी कई नीम के पौधे जो वक्त के साथ मुरझाएगें नही सिर्फ बढ़ेंगे प्रेम की तरह मैं नही दूंगी तुम्हें कुछ क्षण की खुशबू दूंगी शीतल सदाबाहर छांव जो रहेगी मेरे बाद भी तुम्हारे बाद भी हाँ, एक दिन समझ जाएगी दुनियां बदल देगी प्रेम के प्रतीको को कर लेगी सृष्टि से प्रेम ये दुनिया एक दिन।