Akshat Mitra   (©Akshat Mitra | साहिल)
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Joined 2 March 2018


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Joined 2 March 2018
23 MAY 2022 AT 23:17

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22 MAY 2022 AT 19:39

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23 JAN 2022 AT 9:44

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7 MAY 2021 AT 1:19

मुकम्मल कर गया है अधूरापन मुझे
मैं इसे चूमता हूं तेरे होठों की तरह ।

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14 JUN 2020 AT 16:47

इक सितारे के आगाज़ का ज़माना याद है
तुम्हारा रोकर हमें हंसाना, वो हंसाना याद है ।

मिले-जुले किरदारों ने क्या खूब नाम कमाया
हसरतों की फ़िहरिस्त को और बढ़ाना याद है ?

तुमने ही तो समझाया था मुश्किल से कैसे लड़ना है
खुदकुशी कोई रास्ता नहीं, तुम्हे वो नज़राना याद है ?

जिसे देखकर सीखा हमने चाहतों को पूरा करना
हार से लड़ना फिर उठ जीना, तुम्हे वो समझाना याद है ?

खबरों में तुम्हारा नाम तो कोई मामूली बात ही थी
चौककर आंखों का रोना, तुम्हारा जाना याद है ।

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26 APR 2020 AT 21:44

तिरे हाथों को चूमती हिना से जलन है मुझे,
इस बद-ज़नी में मेरा रंग इससे गहरा हो चला है ।

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3 NOV 2018 AT 21:00

जीता था जिंदगी,जो तेरे लिए हर पल,
जीने की वजह,बेवजह ढूंढ़ रहा है !

चाहता था जो कभी,तुझे हर पल,
ना चाहने की वजह,क्यों बेवजह ढूंढ़ रहा है!

डूबा रहता था जो,तेरे ख्यालों में हर दम,
ना याद करने की वजह,फिर बेवजह ढूंढ रहा है!

मिलता था जो कभी,तेरी गलियों में अक्सर,
ना मिलने की वजह,हर वजह ढूंढ रहा है!

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18 JAN 2022 AT 16:53

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14 JAN 2022 AT 10:50

उसके फ़हम से देखे तो हिज्र में भी कुरबत है
मेरे नजरिए में उसकी ये प्यारी गलतफ़हमी है ।

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9 JAN 2022 AT 12:35

Ye baat alag hai ki hai abhi koi
Wo baat alag hogi kabhi koi tha

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