जरा सा मुस्कुराओ, तो हमे आराम हो।
इस जख्म-ए-दर्द का, यूँ इंतकाम हो।।
इलाज़ हकीमों से, अब मुनासिब नहीं..
हर मर्ज की दवा, बस तुम्हारा नाम हो।।-
रचनाएं पढ़ें अच्छा लगे तो जुड़ें।
तुमसे रुबरु होने तेरा मीत चला आया ।
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"आंखों का पानी बचा रहे"
सहेज हर पन्ना जिंदगी का, लोग जिसे सुनें वो कहानी बचा रहे।
खोना नहीं जश्न-ए-शहर में, रगों में गांव का निशानी बचा रहे।
इंसान रंग बदले गिरगिट माफिक, ये फ़लसफ़ा है जिंदगी का..
संस्कार तुम्हारा विरासत की पूंजी है, यूँ ही वो नादानी बचा रहे।
यूँ ना बहाया करो इन मोतियों को, इस मतलबी दुनियाँ में..
थकना नहीं हालातों के आगे, कि हौसले का रवानी बचा रहे।
छलकाना किसी अपने के कंधे "नवनीत", या गोदी में माँ की...
बारी हो जब जश्न मनाने की, तो "आंखों का पानी बचा रहे"।।-
"आओ मरहम बन जाते हैं"
रखे जो दिल की मिट्टी नर्म, वो शबनम बन जाते हैं।
बदल कर रीत चंद्रग्रहण की, हम पूनम बन जाते हैं।
ढूंढता छाँव हर शख्स यहाँ, जिंदगी की कड़ी धूप में
जख्मों की इस दुनियाँ में, आओ मरहम बन जाते हैं।
#पूनम=full-moon-
"रक्षाबंधन"
महज धागा नहीं दिलों के बीच का तार है ये रक्षाबंधन।
भाई बहन के बीच का अनमोल प्यार है ये रक्षाबंधन।
खुश रहो तुम हमेशा कोई आंच ना आये तुम पे कभी
भाई का बहन से इस वादे का इकरार है ये रक्षाबंधन।।-
"हो अगर दिल में प्यार"
हाथ फेरना तेरा मेरे जख्म पे, कुछ यूँ मरहम सी लगतीं हैं।
छुपा है गम-ए-सैलाब हँसी में, तेरी आंखें नम सी लगतीं हैं।
मेरी जीत तुम मेरी हार तुम, मेरी हंसी तुम मेरा रोना तुम
तुम नहीं शामिल जिनमें,वो खुशियाँ भी गम सी लगती हैं।
मेरा सजना तुमसे मेरी सादगी तुमसे, फिक्र नहीं अब गैरों की
संवारता तेरी नजरों में खुद को, आंखें तेरी दर्पन सी लगती हैं।
लेना संभाल गर गिरनें लगूँ, साया बनकर रहना साथ मेरे
वादा तेरा संग चलने का, जन्म-जन्म के बंधन सी लगती हैं।
बनाया खुदा नें तुम्हें मेरी खातिर, चलो अब कबूल करते हैं
इश्क हो गर नसीब में, ये कहानी पूर्ण जीवन सी लगती है।
कहते हैं फरेब जो प्यार को, उनसे कह दो ए मेरे दोस्त
हो अगर दिल में प्यार, तो दूरियाँ भी कम सी लगती हैं।-
"तेरा होना चाहता हूं"
तेरे एहसांसो के मोती को, दिल के धागे में पिरोना चाहता हूं।
हर पल हो तेरी ही फिक्र, याद में इस कदर खोना चाहता हूं।
एक डर सा लगा रहता है यहाँ, कि कोई तोड़ ना दे मुझे
महफूज़ रखूं खुद को, तेरे दिल का वो कोना चाहता हूं।
मुद्दतें हो गयी हैं, सुकून की नींद नहीं पड़ती
अब तो बस तेरी, बाहों का बिछौना चाहता हूं।
छुपा चुका बहुत मैं, इन जज्बातों को जमानें से
तेरे कंधे पे सर रख अब, सरेआम रोना चाहता हूं।
जवानी नहीं मुस्कुराती कभी, अब उस बचपन की तरह
उछल पड़ता था खुशी से, बस वही खिलौना चाहता हूं।
अच्छे कामों में देर नहीं करते, चलो मुकम्मल कर दो
अपना बना लो मुझे, मैं तो बस तेरा होना चाहता हूं।-
"घरौंदा इश्क का"
सुहाना सा ये मौसम भी, कुछ खास नहीं होता,
मीठी-मीठी इन हवाओं का, आभास नहीं होता।
ये दुनिया मुझे चाहे कितनी भी खुशियाँ दे दे,
पर उनके बिना कुछ भी एह्सास नहीं होता।
जमानें की इस भीड़ में, खुद को अकेला पाता हूँ
उनकी यादों का कारवाँ, जब मेरे पास नहीं होता।
हमारे उनके दरमियाँ, ये दुरियाँ रहती ही नहीं
गर वो धरती नहीं होतीं, मै आकाश नहीं होता
खुदा ने गर उन्हे, बनाया ना होता मेरे लिये
तो जीवन में कुछ ऐसा, मिठास नहीं होता ।
थम सा गया होता, मेरे जिन्दगी का ये सफ़र
गर उनकी साँसो से जुड़ा, मेरा साँस ना होता।
घरौंदा इश्क का कभी बनता नहीं "नवनीत"
दिल में मेरे अगर, उनका निवास नहीं होता।-
"उधर तुम-इधर हम"
दिन रात मेरे होंठ जिकर तेरा कर रहे हैं ।
फ़िर भी पास जाने से कदम मुकर रहे हैं
प्यार है दोनों को फ़िर इजहार करने से क्यूँ ,
उधर तुम डर रही हो-इधर हम डर रहे हैं ॥
तेरी यादों के जाम हम इन आँखों में भर रहे हैं ।
तुम हमारे हम तुम्हारे दिल में उतर रहे हैं
असर वफ़ा-ए-इश्क का कुछ ऐसा हो गया,
उधर तुम निखर रही हो-इधर हम निखर रहे हैं॥
तेरे मेरे मिलन के यूँ हंसीन मंजर रहे हैं ।
इन्तजार फ़िर वक्त की इस बारिश में कर रहे हैं
अब यूँ सोचकर कि मिलेंगें आज हम,
उधर तुम सँवर रही हो-इधर हम सँवर रहे हैं ॥-
"प्यार का रोग"
जिंदगी के सफ़र में जब ये Accident हो जाता है,
कहीं Deficient तो कहीं Efficient हो जाता है ।
जब नयन से नयन के तार लड़नें लगते हैं,
तो ये नादान दिल प्यार का Patient हो जाता है ॥
ये रोग लाइलाज है इसे Avoid कीजिए,
हो भी जाये तो दिल में ही Hide कीजिए ।
छुने से नहीं फ़ैलता ना ही Infection होता है,
शिकार होने से पहले खुद ही Decide कीजिए ॥
अब तो ये प्यार नहीं बस जिस्मों का Attraction है,
मत भुलो की अब Make-up का ही Fashion है ।
ये साथ निभाने के वादे मे उलझ मत जाना,
कभी Complete नहीं होगा ये ऐसा Transaction है ॥
इस बीमारी से ज्यादा इसका Side-effect होता है,
इसका Virus बीमारी के बाद ही Detect होता है ।
इस चक्कर मे पड़कर कितने बरबाद हो गये पर
प्यार में Winner ही ऐ Mr. PERFECT होता है ॥-
"किस बात की सजा है ये"
बेनाम क्यूँ है मेरा रिश्ता, अब इसे कोई नाम तो दो।
फिर रहा हूँ मैं यूँ दरबदर, मुझे कोई मकाम तो दो।
मेरे इश्क के नसीब में, साहिल मिलना ही नहीं शायद
मझधार ये वाजिब नहीं, अच्छा या बुरा अंजाम तो दो।
पलकें बिछाये बैठा है दिल मेरा, तुम्हारे इंतज़ार में
नहीं आना मेरी गली तो भी सही, पर पैग़ाम तो दो।
हिस्सा तो हम भी थे, तुम्हारा इश्क पानें की होड़ का
माना कि जीते नहीं, पर तसल्ली वाला ईनाम तो दो।
मुकर्रर किया है तुमने, चलो कबूल करते हैं हम
किस बात की सजा है, अरे कोई इल्जाम तो दो।
दिल मेरा बच्चा है अभी, नादानियाँ करने लगा है
हम भी मिसाल बनें प्यार के, ऐसा आयाम तो दो।-