वो कुतरकर, मेरा कुर्ता ,
मुझे सलाम करता है ।-
चलो आज तुम्हें उनकी एक 'लेटेस्ट' कारस्तानी बताता हूँ
इस दीवाली की उनकी 'शॉपिंग' वाली दास्तान सुनाता हूँ
मैडम ने इस दीवाली की कुछ ऐसी ख़रीददारी
सिर भारी हुआ मेरा और पूरी 'जेब' हुई खाली
मुझे दीवाली गिफ़्ट देने का प्लान बनाया उन्होंने
बाज़ार के कोने-कोने का चक्कर लगाया उन्होंने
पर 'सरप्राइज' कुछ अलग देना चाहती थी मुझे वो
हर 'ऑनलाइन शॉपिंग साइट' के खून पीती रही वो
फ़िर घूम फ़िर कर हमारे लिये उन्हें एक कुर्ता पसन्द आया
वो कुर्ता उन्होंने हमारे नाम से हमारे ही पते पर भिजवाया
'डिलीवरी-बॉय' आया हाथ में लिये एक 'गिफ़्ट-रैपड' डब्बा
हम ख़ुश हुऐ दीवाली पर कोई तो 'गिफ़्ट' आया हाय रब्बा
जैसे ही हमारे हाथ में वो पैकेट आया
हमारा सिर और दिमाग 'भौचक्काया'
भेजने वाले भी हम थे, 'पाने वाले भी हम'
जिसको 'बिल' था चुकाना, 'वो भी थे हम'
( पूरी कविता कैप्शन/अनुशीर्षक में पढ़ें... )
- साकेत गर्ग 'सागा'-
एहतिहातन हॉफ स्लीव कुर्ता पहनती हूँ अब,
फैशन नहीं साँपों से बहुत डर लगता है अब।-
महफ़िल में चारों ओर हमारी ही
चर्चायें हो रही थी बारी- बारी,
क्योंकि मैंने पहना था खादी कुर्ता
और उसने बनारसी साड़ी!!-
याद है वो एक नीला कुर्ता था मेरा, वही जो तुमने पसंद किया था। नीला बहुत पसंद था ना तुम्हे, अब भी होगा शायद, या अब कोई और है?
खैर...अभी भी है वो मेरे पास। हां है अब भी, इतने वक़्त के बाद। पहनती हूं कभी-कभी जब किसी दिन बहोत मन होता है, तुम्हारे आस- पास होने का...
कैसे पता नहीं, किसी चीज़ में अटक कर शायद, फट गया वो थोड़ा। मां ने कहा "रफू करवा लेना।"
मन हुआ था पूछने का बहोत, "मां, रिश्ते भी रफू होते हैं क्या?"
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ज्यों तेरे कुर्ते में बसे
इत्र की ख़ुशबू
वज़ूद में तेरे बसूँ
ये मेरी आरज़ू-
Assymmetric कुर्ते का पहनना फैशन है
Tassle kurti का नही होना है
Ankle lenghth होने की अवस्था !
मई-जून की सड़ी गर्मी में
कश्मीर की डल झील मे
Linen की shirt पहनकर अपने आपको देखना !
उस शॉपिंग मोल्स मे खड़े होकर देखना
जहाँ नही आता है W brand का कोई भी crap कुर्ता
बिहार का सबसे पिछड़ा है वो गावँ
जिसके तीस-चालिस किलोमिटर की परिधी मे
ना हो कोई भी shopperstop
ओर आप है fashion डिज़ाइनर
ओर आपका दोस्त है मनीष मल्होत्रा
जिसके संग व्यस्त है
Paplum top पर विचार-विमर्श करने मे !
Teel रंग क्या है
नील हरित रंग का नही होना है finding
जो ले जाता है हमे google की ओर
दिखाता है बत्तख के बच्चे के सर का नीला रंग-
दस्तक
चाँद तो सोया ही रहा कई रात
जगा भी तो एक बरगद के टहनियों में ही उलझ
जुगनू बन के वहीं मंडराते रह गया-
कुर्ता...
मेरे कमरे के दरवाजे के पीछे तंगा कुर्ता,
देखता है हर आहट पर दरवाजे की आड़ में छिप-छिप के, की कहीं तुम आई हो क्या?,
उसे भी है इंतज़ार की तुम आओगी और मेरे कमरे में कहीं गुम सी पड़ी हुई सुई, जो अक्सर ही ऐन मौके पर ऐसे गुम हो जाती है जैसे तुम,
उस सुई से सिल दोगी, मेरी मेज़ पर पड़े कुर्ते के टूटे बटन को कुर्ते से, जिसके साथ ही शायद जोड़ोगी तुम मुझ संग वो पहले जैसे संबंध, जो तुम ऐसे तोड़ चली थी, जैसे बटन सियने के बाद, बेहद करीब आकर कोई दांतो से तोड़ जाता है धागे को...-