अंजलि राज  
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Joined 22 May 2017


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Joined 22 May 2017

तुम्हारे नाम को बस इक बशर वो याद रखेगा,
जिसे तुमने दिए धोखे, मगर कुछ कर न वो पाया।



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जब पास न हों उत्तर,
तो प्रश्न लगें नश्तर।

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समझ मत ख़ास ख़ुद को गर
तुझे है चाहता कोई।
ये बारिश प्यार की कब देखती
मिट्टी की किस्मों को?

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29 DEC 2023 AT 11:31

न कोई गुफ़्तगू चाहे न हस्ब-ए-आरज़ू मांगे।
बहुत ख़ामोश सा रहने लगा है प्यार अब अपना।

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29 DEC 2023 AT 11:28

Rehearsed
responses
repel.

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16 DEC 2023 AT 16:01

न हो मेहनत हमारी क़ाबिले तारीफ़ लेकिन,
ज़रा जौहरी की भी तालीम को आओ परख लें।
न जिसने छू के देखा और न नज़रो में उतारा,
क्या उसके फ़ैसले की धार पर हीरे को रख दें?

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5 DEC 2023 AT 21:28

बड़ी मसरूफ़ियत में ज़िंदगानी जब गुज़रती है,
बड़ी शिद्दत से मेरे ग़म मुझे तब याद करते हैं।

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27 NOV 2023 AT 14:04

हौले से कहे मेरी लेखनी, “सुन!
कर मुझसे दिल की बात कोई।
भीगे भीगे तेरे लफ़्ज़ों से,
मैं लिख दूंगी बरसात कोई।”

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26 NOV 2023 AT 9:42

ज़िन्दगी पर मुस्कुराने की अदा कब आएगी?
यूँ लगे है सीखने में ज़िन्दगी लग जाएगी।

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26 NOV 2023 AT 9:00

कभी तो डूबकर के जी ये ज़िन्दगी हमदम।
ये बस अभी है, यहीं है, और इसी पल में है।

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