ना दिन बदले ना बदले हम
केवल अंक बदल गए।
कश्मकश-ए-जिंदगी में
ना जाने ऐसे
कितने ही वर्ष निकल गए।।-
जो......छूट गया,
बेवज़ह रूठ गया,
उन्हें.................जाने देते हैं
तुम उन्हें...............मिटा दो,
उन्हें भी हम को मिटाने देते है,
ख़त्म हुआ ये साल जैसे,
वैसे उन्हें भी जाने देते हैं,
चलो, इस साल को अलविदा कहें,
औऱ.....नए साल को आने देते है-
अलविदा कि तेरा साथ कुछ अजीब सा था,
अनचाहे अनकहे अनजाने बिगड़े नसीब सा था,
लूटा कईयों को तूने, घर बार तोड़ दिये,
भूखा मरा कोई ,तो किसी ने साँसें छोड़ दिये,
उथल पुथल के रख दिया हर कोना कोना,
शोर चल रहा था बस हर तरफ़ कोरोना कोरोना,
माना तूने छिना बहुतों का कुछ,पर बहुत कुछ दे गया,
प्रकृति का प्रदूषण, शोर, धुँआ सब ले गया,
अपनों की अहमियत लोगों को बतलाया ,
जिंदगी की दौड़ में जिंदगी जीना सीखलाया,
कोसा बेइंतहा सभी ने तुझे हर अभिशाप दिया
फिर से दिन ये ना दिखलाना ये श्राप दिया,
शुक्रिया भी तेरा कई शिकायतें भी,
पर याद रहेगा तू ये इनायतें भी,
कल की शायद सुबह की हवा थोड़ी ज्यादा ताजा हो,
जिंदगी को जीने के उम्मीद शायद ज्यादा हो,
साल अगला बेहतर हो, ना हो कोई बंदिश
बस इतनी सी दुआ है अलविदा दो हजार बीस ।।-
दिया बहुत कुछ तुमने मुझे ,
छिन कर नादानी के भाव को ।
खुद को बदलते देखा ऐसे ,
जैसे धूप से मिटती छाव हो ।
तुमने समझाया है मुझे ,
हर झूठे रिश्तों के मतलबी स्वभाव को ।
याद रखुँगा तुम्हारा दिया हर सबक ,
जो सीखा देख कर बदलते हालात को ।
है शुक्रिया जो जीना सिखाया तुमने ,
जिन्दगी को जीने से पहले इस नादान को ।
ऐ यार मेरे , ऐ साल मेरे ,
है अलविदा तुझको , है अलविदा तुझको ।-
न जाने कितनों के अपने ले गया,
न जाने कितनों के सपने ले गया,
करके सबकी आँखों को तू नम,
न भरने वाला घोर ज़ख़्म दे गया।
बिछड़े परिवारों को मिला दिया,
उजड़े चमन में गुल खिला दिया,
पिंजरे में जीवनयापन करने का,
इंसानों को अनुभव दिला दिया।
अलविदा तुझे हे दो हज़ार बीस,
सुस्वागतम् है दो हज़ार इक्कीस,
न आए कभी लौट कर ऐसा वर्ष,
जो देता हो सबको घनीभूत टीस।-
2020 के साल
तुमने कभी किसी को गम की बरसाते दी
और कभी किसी को खुशियों कि सौगातें दी
कभी तुमने किसी के अपनों को छिन लिया
और कभी किसी के सपनों को छिन लिया
इस साल में ना जाने कितने के रिश्ते छुटे
क्या पता इस दुनियां में कितने दिल टूटे
2020 तुम्हें अलविदा , तुमने कुछ अच्छा सीखाया
शुक्रिया है जो तुमने YQ में प्यारे दोस्तों से मिलाया-
मेरी लेखनी के साथ जुड़े सभी मित्रों और साथी रचनाकारों एवम् साहित्यकारों को नववर्ष २०२१ की मंगलकामनाएँ 🙏
नूतन वर्ष में फिर से नव दीप जलाना है,
भूलना मत अभी कोरोना को हराना है।
विदाई 2020 (अनुशीर्षक में)-
बहुत कुछ दिखलाया
नया एहसास कराया
बहुत कुछ गवाया
जो भी था
जैसा भी था
गुज़रा ज़माना बीता
हुआ कल हो गया
जाते जाते
बहुत कुछ सिखला गया।-