हुई बहस एक बात पर ,
किस्मत उसका नाम ।
एक ने बोला ,
करले चाहे जितने जातन ,
कोई भी कर काम ।
होगा बही जो लिख गई ,
किस्मत तेरे नाम ।।
दूसरा भी बोल पड़ा सुन पहले की बात ,
क्यूँ रोता है किस्मत को ,
ले कर्मो से काम ।
लिखा हुआ भी बदलेगा ,
कर ले चारो धाम ।।
मै भी बैठा सोच में ,
सुन दोनो की बात ।
ना किस्मत ना चारों धाम ,
सब कुछ तेरे हाथ ।
तेरे मन की करनी है ,
होता जो भी तेरे साथ ।।
ऊपर वाले का नही ,
किसी से कोई बैर ।
उसकी सबसे दोस्ती ,
सबकी चाहे खैर ।।-
प्रारम्भ है , प्रकाण्ड है ।
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प्रदीप —प्रकाश करने वाला... read more
ऐ जो जिन्दगी तेरे बग़ैर है ,
खैरियत तो नही , खैर है ।
मैं मिटा चुका हुँ
ख्वाहिशों का मकान साथी ,
अब तो जिम्मेदारियों का शोर है
खैर है ।।
•••-
किसी के हिस्से कि नही ,
अब ख़ामोशी मेरी ।
ग़म और खुशी से दूर है ,
उदासी मेरी ।
सुकून ए राह की ख़बर तो है लेकिन ,
अब गवारा नही कि जाँऊ राह तेरी ।-
चल रही है जिन्दगी किसी के रूठ जाने से ,
अभी रूकी नही है संसे साथ छुट जाने से ।-
हमें आदत है ' खुमार-ए-ग़म ' में रहने की...
वो जो खुश मिजाज है , उन्हें खुश रहने दो...।
इधर उधर की बातें अब ना करो हमसे...
हम उदास है , उदास रहने दो...।।
बहारें आएगी और खिल उठेगी ज़िन्दगी...
यह बस एक ख्याल है , ख्याल रहने दो...।।।-
हाथ भी अब तो थामे कौन ।
अकेले है तो करे भी क्या
साथ यहां देता ही कौन ।।-
सब अच्छा है ,
बस पहले की तरह मुस्कुराता नहीं ।
धड़क रहा है दिल भी ,
बस गीत गाता नहीं ।।
तेरे जाने के बाद ,
ये हाल-ए-दिल है मेरा ।।
तेरे बाद भी बस तू है ,
और कुछ भी नहीं ।।।
कुछ भी नहीं...-
खा गई हमको , हमारी शराफ़त यारों ।
ग़र बिगड़ जाते तो सलामत रहती मुस्कुराहट यारों ।।-
चंद राते लिख कर , हर दिन लिखा मिटाना है
अधुरी हर कहानी का , यही तो फसाना है ।
बातों में पिरोते रहते है , लोग रिश्ते-नाते अपने अपने
नासमझ हम लोग , एक दिन सबने गुज़र जाना है ।।-