Suryaprakash Maurya   (Sur_कलम✒)
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Joined 1 July 2020


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Joined 1 July 2020
1 APR AT 23:46

मेरे अल्फाजों में तेरा ही जिक्र रहा,
कि तुझे पा कर भी मैं बेफिक्र रहा,

मैंने कद्र ना की तेरे संग होने की,
ख़ुद ही के गुरुर का फ़क़त मित्र रहा

तूने सब सह कर भी मुझे साथ रखा,
विराने में भी कांधे पर तुने हाथ रखा,

तेरा मोल समझा तुझे खोने के बाद,
बस ऐसा ही कुछ जीवन का चित्र रहा,

मैं मर जाता शायद तेरे जाने के बाद,
जिंदा हूँ क्योंकि साथ तेरा ये इत्र रहा ||

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24 MAR AT 21:30

ना समझ आये की है क्या समझ,
कुछ हैं नासमझ जिनको है ना समझ,
कुछ समझ के भी बनते हैं नासमझ,
कुछ समझ के ही समझ को समझाते हैं,
कुछ समझ के समझ को ही समझाते हैं,
कई नासमझी को ही समझ बतलाते हैं,
जो समझ जाते हैं वो समझ जाते हैं,
पर नासमझ भी तो समझ को समझ पाते हैं,
कोई है नासमझ क्योंकि मिली ना समझ,
पर कुछ समझ वाले भी ना समझाते हैं
अब बताओ की तुम समझे क्या समझ,
या आया ना समझ तुम्हें भी ये समझ ||

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14 MAR AT 23:44

जिंदगी से इश्क़ अब है ही नहीं,
कि खुशी में मुश्क़ अब है ही नहीं,

ना बदल रहा कोई मंजर ये अपना,
मौसीक़ी में भी जीस्त अब है ही नहीं

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13 MAR AT 23:13

मंजिलों का सुराग मिल जाएगा,
अँधेरे में भी चिराग मिल जाएगा,

कुछ दूर तो चल तू इस सफ़र में,
जीवन का अनुराग मिल जाएगा

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11 MAR AT 22:34

मैं लफ्जों में कैसे लिखूं तुम्हें,
तुम तो मेरे कलम की स्याही हो,

मन में जो उठते हैं ख्याल हर पल
उन की तुम ही तो परछाई हो,

कागज़ पर दिल रख के अपना,
मैंने तो पूजा है तुम्हें शब्दों में,

होंठों पर नाम तुम्हारा ले कर,
लिख दी ना जाने कितनी रुबाई है ||

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10 MAR AT 22:39

मेरी कोशिश है की कुछ बन जाऊं,
अपनों की आंखों में बस छन जाऊं,

कुछ मुकाम जहां में मेरा भी मयस्सर हो,
अपनी काबिलियत के बुते हर मन जाऊं

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9 MAR AT 21:16

ये खुशी बस तुम से है,
हाँ तुम्ही से है खुमार,

मैं डूबा तेरी आँखों में,
कि है इतना गहरा प्यार


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8 MAR AT 23:34

यादों की दोपहर में बैठे बैठे शाम हो गईं,
उसे देखने की जद्दोजहद अब आम हो गईं,

लोग पूछते हैं मुझसे हद मेरी मोहब्बत का,
क्या बताए ये जिंदगी ही उसके नाम हो गईं

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7 MAR AT 21:30

ग़लत फहमी का इल्जाम जफ़ा होता है,
खास होकर भी मुर्शिद मेरा ख़फ़ा होता है,

भरोसा टूटे तो कांच जैसा बिखर जाए,
इससे किसी तीसरे का ही नफा होता है

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6 MAR AT 23:45

रिश्ते वक़्त की तरह छूट जाते हैं,
हम बेवजह किसीसे रूठ जाते हैं,

जिंदगी तो सफ़र है दो घड़ी का,
हम बीती बातों में ही घुट जाते हैं

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