दीपावली के पावन पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।।।
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Sahil Srivastav-
Mujhse judne aur mere jazbaato (writings)ko samjh... read more
Ek hi to dil hai,
Saala wo bhi apne khud ke hi pass hai...
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Sahil Srivastav-
सभी देशवासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।।।
Happy Republic Day to All..
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साहिल श्रीवास्तव-
राहें मुश्किल हैं, हल कोई है नहीं,
डूब रहा है सूरज, आस कोई है नहीं।।
मंजिले हैं दूर, करीब कुछ है नहीं,
शांत है साहिल, हारा मगर है नहीं।।
तर जायेगा ये समंदर, नामुमकिन डगर है नहीं,
कदम चूमेगी कामयाबी भी एक रोज हमारा, हौंसला पस्त है नहीं।।
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Sahil Srivastav-
एक नया दिन एक नई शाम होगी,
फिर से एक दफा नई नई सी बात होगी।।
ऐ गुज़रे साल! तू भी बड़ा कमबख्त बीता,
आने वाले अब बस तुझसे इल्तेज़ा है कि तू ज़रा बेहतर कल लाना।।
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Sahil Srivastav-
सोचता हूं इश्क की एक नई दास्तां लिख दूं,
मैं तेरे नाम ये ज़मीं ये आसमां लिख दूं।
यूं जो तू मुझसे दूर दूर सा रहा करता है,
सोचता हूं तुझे कुबूल , कुबूल करके अपनी जिन्दगी की सुबहो शाम का एक अटूट हिस्सा बना लूं।।।
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Sahil Srivastav-
मुश्किलों में फंसा हूं,
उलझनों को सुलझा रहा हूं।
ख्वाहिशों का गला दबाए,
जिन्दगी को जीने चला हूं
अपनी धुन में ।।
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Sahil Srivastav-
बड़ी खामोशी से टूट रहा हूं कुछ इस कदर
अन्दर से मैं,
कि अब जो बिखरा तो टूटकर मिट्टी में ही मिल जाऊंगा मैं।।
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Sahil Srivastav-
यूं ही अक्सर तन्हाइयों में,
दिल में एक आहट सी होती है।
मेरी अकेली अधूरी सी जिन्दगी में,
एक शख्स की कमी जरा ज़रा सी लगती है।।
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Sahil Srivastav-