आप फ़क़त मेरी मुस्कुराहटों से वाक़िफ़ हैं
ये दीवारें जानती हैं मेरे अश्कों को भी-
Wajeda Tabassum
(©तबस्सुम)
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A drop of Ink may make a million think.
Joined 30 August 2019
9 AUG AT 17:48
30 JUN AT 20:37
बहुत सी वजहें भी कम हैं मुस्कुराने को
ग़म एक ही काफ़ी है ता-'उम्र रुलाने को-
21 JUN AT 8:26
"घर को लौटना"
जितना सुखद है
उससे कहीं ज़्यादा
है पीड़ादायक
"घर से लौटना"-
16 JUN AT 13:02
जब सामने वाला हमें
अपनी परेशानी
बता रहा हो
तो
हमें उस वक़्त
उसे अपनी
ख़ुशी
और
परेशानी
बताने से परहेज़
करना चाहिए।-
17 MAR AT 11:26
यादें दलदल की
तरह होती हैं
वक़्त रहते
अपने
हाथ-पैर
मार कर
या किसी का
हाथ थाम कर
इसमें से
निकल जाना चाहिए
वरना इंसान
इसमें धंसता चला
जाता है।-
24 FEB AT 21:56
तेरी क़िस्मत पर आता है रश्क मुझे
कि तेरे हिस्से में साथ मेरा आया है-