हवाओं का रुख जब तेज़ हो,
जब नाव में अनेकों छेद हो,
घबराओ नहीं पतवार चलाते रहो,
डूबने वाले हो फ़िर भी मुस्कुराते रहो,
बच गए तब शुक्र मानना
डूब गए तब हँसते हुए जाना-
Raghavendra Kharwar
(राख)
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Joined 14 September 2018
27 AUG AT 19:41
28 JUL AT 21:23
लिख आख़िरी खत उसके नाम "राख" मैंने क़लम तोड़ दी,
उसकी ख़ुशी माँग मौत को गले से लगाया सांसे लेनी छोड़ दी-
17 JUL AT 22:40
कुछ नहीं बोलूंगा बस मैं मुस्कुराऊंगा,
हँसते हँसते अचानक मैं मौन हो जाऊँगा-
1 JUL AT 22:49
जो मैं कभी ग़ुम हो जाऊँ इस दुनियां में तब,
ढूंढना मुझे वहां जहाँ कोई किसी का नहीं होता-
24 JUN AT 21:05
बहुत कुछ मुस्कुरा कर सह जाता हूँ,
मैं चुप रहकर भी बहुत कुछ कह जाता हूँ-
12 JUN AT 23:14
जब मेरी साँसें थमेगी तुम आ जाना
मुझे तुम्हारा एक आख़िरी दीदार चाहिए,
मुझे देना थोड़ा सा वक़्त उस वक़्त मुझे
तुम्हारा वक़्त कुछ पलों के लिये उधार चाहिए-
25 MAY AT 15:05
सबर का हर घुट हर रोज़ पी रहे है,
तुम जिंदगी जी रहे हो हम मौत जी रहे है-
22 MAY AT 21:38
माना के टूट कर बिखर जाऊँगा मैं,
तेरे लिए खुशियाँ माँग मर जाऊँगा मैं-
21 MAY AT 6:18
मुझे बेशक बिखेर दोगे कई टुकड़ों में तुम,
पर मुझे विश्वास है मैं हर टुकड़े से रोशनी बिखेरूंगा-