इस कदर रंगा हूँ सोशल मीडिया के रंग में,
अपनो के बीच अब 'मोगली' से हालात है।-
हम तारीख से दीवार पर टंगे रह गए
और इश्क़ परवान चढ़ता गया,
हम ढूंढते रह गए दिन महीनों में उसको
वो सांसों में बसकर जान बनता गया ,
अहसास नादान थे हकीकत भूल बैठे
मान दे दी उसे वो नादान बनता गया,
तन्हाइयों के मारे रहे हैं हम कब से
जानकर भी वो अंजान बनता गया,
हम शीशा हो गए वो पत्थर ही रहा
वो चोट देकर भी हैरान बनता गया !
- दीप शिखा
-
वो मेरी जान है
ये जानकर भी
जानबूझकर
अंजान बनकर
वो मेरी जान
लिए जा रही है।-
हर खुशी हर गम जब सिमटने लग जाते हैं
तब रिश्ते नये होकर भी पुराने बन जाते है
टूट कर चाहा था जिसे कभी किसी दिन
सामने आते ही वो शक्श अंजाने बन जाते हैं।।
-
अभी अंजान है तू,, यकीनन खबर भी ज़बरजस्त होगा........
जब निखर के आएगी मोहब्बत मेरी....-
मुझसे इतनी नफ़रत,
ये जानकर अच्छा लगा !
शायद अभी तक मैं तुमसे अंजान था !!-
दिल की खुशियां यू ही नीलाम हो गई।
महफिल में तू सारे आम अंजान हो गई।।-
मैं दो तरह के अजनबियों को जानती हूं।
एक वो जिनसे मैं वाकयी अंजान हूं
और दूसरे वो जिनको मैंने
हद से ज़्यादा ही जान लिया है।-
कुछ ऐसी नज़रों से देखा है उसने मुझे
जैसे बस 'छू' ही लिया है उसने मुझे
अंजान है, मगर जानती है वो मुझे
अहसास कुछ ऐसा दिया है उसने मुझे
- साकेत गर्ग 'सागा'-