लोग तो फिर एक दफा...
नई मोहब्बत की राह पर चलने को तैयार खड़े हैं।
और एक हम हैं...
जो अब तलक पुरानी यादों में उलझे पड़े हैं।-
★ विश्वास “भोलेनाथ” और उम्मीद “माँ” ❤️🙌🏻
★ शौक नहीं है लिखना मगर सु... read more
हैसियत देखकर इश्क किया जाता तो बेहतर था
ये बड़े लोग इतराते बहुत हैं।-
उलझनें इस ज़िंदगी में कुछ कम तो कीजिए...
या खुदा थोड़ा ही सही मगर रहम तो कीजिए।
कमी किस चीज़ की है मैं मालूम क्यूं नहीं कर पा रहा
गुस्ताख से गुस्ताखी क्या हुई ये इत्तला तो कीजिए।
बिन अश्कों के रोता थक गया हूं मैं...
रो सकूं जी भरकर जिसके सामने एक शख्स तो दीजिए।
या खुदा थोड़ा ही सही मगर रहम तो कीजिए।-
खामोश महज़ इसलिये नहीं हूं के मुझे खामोशी पसंद है
मगर इस दफा मुझसे मेरे जज़्बात पूछे ही नहीं गए।-
उम्मीदें अक्सर इंसान को कहीं का नहीं छोड़ती।
ख़ैर ज़िंदगी नाउम्मीदी में भी नहीं बितायी जा सकती।-
गलतियां गिनाने में मैं यकीन नहीं रखता
मगर इससे तुम बेकसूर नहीं हो जाओगे।-
हर दफा अपने दर्द को अल्फाज़ो में बयान कर देता हूं
मगर इस दफा मैं अपनी तकलीफ़ पन्नो पर नहीं लिखूंगा।
ये तकलीफ़ मेरे दिल में यूंही कायम रहनी चाहिए
कम से कम इतने दर्द में फिर मोहब्बत तो नहीं करूंगा।-
हां कुछ अनगिनत कविताएं लिखी होगी तुम पर
मगर तुम्हें भेजता नहीं हूं।
जाना चाहत तो आज भी बेहिसाब है तुम्हारी
हां मगर कहता नहीं हूं।-
करती हूं उस खुदा से
बस एक यही दुआ !!
मेरे हिस्से की भी खुशियां मिले
तुझको ही सदा !!-