तुम्हारा पल भर के लिए, मेरी आंखों के सामने होना !
मानो मुरझा रहे पौधे को, कोई फिर से सींच गया हो !-
मुझे आसमां की
इतनी उँचाई तक न लाना,
कि ज़मीं के लोग दिखाई न दे..... read more
अगर आए तेरी यादें, बताओ क्या करे ये दिल !
तेरे दीदार को तरसे, बताओ क्या करे ये दिल !
कहीं पर भी नहीं लगता, ये दिल मेरा सुना तुमने !
ये रोता है अकेले में, बताओ क्या करे ये दिल !
जिधर भी देखता हूँ मैं, मुझे तू ही नज़र आए !
तुम्हें गर चाँद में देखें, बताओ क्या करे ये दिल !
तुम्हें शायद ख़बर ही ना, कि जब गुलशन से आते हो !
तेरी खुशबू यहाँ महके, बताओ क्या करे ये दिल !
हुआ है दिल को कुछ शायद, न जाने क्यों लगे ऐसा !
मुहब्बत हो गई तुमसे, बताओ क्या करे ये दिल !
विरह की अग्नि में जलकर, झुलसता जा रहा मोहन !
मगर फिर भी न तुम आए, बताओ क्या करे ये दिल !-
कैसे कह दूं, के मुझे तुमसे, है प्यार बहुत !
मेरी हिम्मत, ही नहीं करने को, इज़हार बहुत !
मुझको लगता है डर, तेरे दूर चले जाने का !
यही सोंच के, रुकते हैं कदम, हर बार बहुत !-
वो क्या रावण मारेंगे,
जिनके मन का रावण मरा नहीं !
वो क्या रक्षा कर पाएंगे,
जिसने रक्षा का पाठ पढ़ा नहीं !
बाहर से है जो राम,
वही अंदर से है रावण वंशज !
जिनके मन में नारी सम्मान नहीं,
वही आज बन बैठे हैं जज !
जो सुबह मन्दिर जाता हो,
वह शाम को जाता मधुशाला !
कलयुग के राम से बेहतर है,
वो रावण अब त्रेता वाला !
इंसान नहीं वह पशु समान,
जो नैतिकता से भरा नहीं !
वो क्या रावण मारेंगे,
जिनके मन का रावण मरा नहीं !-
युग बीते, सदियाँ बीती, बीत गए कई साल !
खो दिया भारत माता ने अपना गर्वित लाल!-
तुम ही मेरा नसीब हो, तुम ही मेरी दुआ !!
कैसे कहूं मैं आपसे, कि मुझको क्या हुआ !!
जो बात थी लबों पे, आँखो ने कह दिया !
मेरे होंठों ने तेरे होठों को, जब से है छू लिया !!-
कितना अजीब है न
इतने पास रह के भी हम दूर हैं
नहीं पता मुझे
तुम मजबूर हो या हम मजबूर हैं
तुम्हें लगता होगा
ये बात उस बात की है, नहीं
अब बात, उस बात पे नहीं
अब बात, प्रेम की है...
प्रेम में होने वाली तड़प की है....-
तुम कहो तो, चुपचाप मर जाएंगे ।
टूटकर मोतियों सा, बिखर जाएंगे ।
इस मोहब्बत पे तुमको, हो जाए यकीं ।
तेरे खातिर, हर हद से गुज़र जाएंगे ।-
...एक चुनावी व्यंग्य...
पंचर पहले हो जाएगी (गीत)
नीचे कैप्शन में
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चाहती मोहन को थी उनकी सभी ही गोपियाँ !
कृष्ण की बस एक ही तो राधिका है जिंदगी !!-