गैरो के सामने जीतने का हुनर रखने वाले
अपनो से हमेशा हार जाते है ..!!-
सबसे ख़तरनाक एक अकेला आदमी,
ना किसी से मुह छुपाना,
ना किसी को मुह दिखाना।
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आज घर पे मेहमान आये हैं,
आज फिर कुछ अच्छा खाने को मिलेगा ।
आज घर पे मेहमान आये हैं,
आज फिर एक रोटी के चार टुकड़े होंगे ।।-
ज़हन का कमरा जाला जाला हो चुका है
हर पल मानो ज़हर का प्याला हो चुका है
बचपन की बस इक दो यादें आती हैं
बाकी सब कुछ काला काला हो चुका है
- बिक्रम बमराह-
इधर शाम हुए अब एक जमाना हो गया
तुम तो निकलो चाँद कि तुम्हे भी अब बहाना हो गया-
सपनों की दुनिया को जीतने के लिए,
काश, हमने वास्तविकता को थोड़ा पहचान लिया होता.
आसमान को छूने के अरमान लिए,
काश, हमने ज़मीन की अहमियत को पहचान लिया होता.
चूर हो गए हम इतने जीत का जश्न मनाने के लिए,
काश, हमने हार को भी कभी ध्यान से पढ़ लिया होता.
जीते थे शान से कभी जिस हंसी को मुख पे लिए,
काश, हमने आज सपनों के बोझ तले उसे आज दफ़न ना किया होता.
अरमान सजाया था जिस जीवन को शान से जीने के लिए,
उन्ही अधूरे अरमान के साथ आज मृत्युशैया पर लेटे यह सोच रहे थे ,
काश , हमने यह जीवन थोड़ा जी लिया होता।-
वक्त वक्त की बात है
कोई किसका खास नही होता
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
एक बार हो जाए मतलब
पूरा तो वो इंसान आपके
आस पास नही होता।
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काश तुम भी होती....
हम तकते चाँद को साथ मे !!
चाँद आसमां मे और चाँदनी मेरे साथ होती...
कुछ मैं तुमसे तो कुछ तुम मुझसे कहती....
जाना ! तुम सोच भी रही हो !!
वो रात कितनी हसीन होती....
एक हाथ मे तेरा हाथ !!
और दूसरे हाथ मे चाय होती....
मैं सितारो की तुलना तुम्हारी नज़रो से करता !!
उफ्फ तुम भी बस ! और तुम मुझसे ये कहती....
चहरे को चाँद और हवाओं को तेरे बदन की खुशबू कहता !!
ये सब सुन कर तुम वंही शर्मा जाती....
वैसे और सब तो ठीक है !अफसोस बस यही है !!
के काश तुम मेरे पास होती....
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ठहाके न जाने कहाँ छोड़ आए हैं हम,
अब तो रिवाज सिर्फ मुस्कुराने का है।-