जशोदा मैयां की ममता रे पुकारे,
सूना पड़ा नंद महल का आँगन रे पुकारे,
गायों के गले की घंटी भी पुकारे,
वापस आ जाओ कृष्णा हरे,
अब तो पूरा व्रज रे पुकारे (१)
राधा की सुनी प्रीत रे पुकारे,
हर बहता आंसू तेरा नाम रे पुकारे,
सुना पड़ा यमुना तट भी पुकारे,
वापस आ जाओ कृष्णा हरे,
अब तो पूरा व्रज रे पुकारे (२)
गोपियन की गागर रे पुकारे,
छत पर लटका माखन रे पुकारे,
सुनी पड़ी कदम्ब की डाली भी पुकारे,
वापस आ जाओ कृष्णा हरे,
अब तो पूरा व्रज रे पुकारे (३)
व्रज में रहता हर जीव रे पुकारे,
कुंज गली का हर कोना रे पुकारे,
उदास खड़ा यहाँ व्रज रे पुकारे,
वापस आ जाओ कृष्णा हरे,
अब तो पूरा व्रज रे पुकारे (४)-
जिसे लिखना हर कोई चाहता है,
पर महसूस करना कोई नही चाहता है।
जिसे पढ़ना हर कोई चाहता है,
पर समझना कोई नहीं चाहता है।-
छिपी कितनी बुराइयाँ औरों में है,
ये ढूंढ़ने में हम सारी उम्र बिता देते है ,
छिपा कुछ हुनर खुद में हैं,
ये समझने के लिए हम चंद लम्हें नहीं निकल पाते है।-
पड़ जाए अकेला जब भी तू,
स्मरण राम नाम का करले तू,
थाम के तेरा हाथ यहां,
बन जाएंगे तेरे, राम सखा।
खो जाए अंधियारे मे जब भी तू,
स्मरण राम नाम का करले तू,
दिख जाएगा उजाला यहां,
बन जाएंगे तेरे, राम सवेरा
भटक जाए रास्ता जब भी तू,
स्मरण राम नाम का करले तू,
दिख जाएगा सही मार्ग यहां,
बन जाएंगे तेरे, राम पथप्रदर्शक ।-
जिन्होंने नीव रखी स्वराज की है,
जिन्होंने अभिमान बढ़ाया भगवे का है,
सुनकर जिनके नाम से, दुश्मन भी कांपे थर थर है,
जो मराठा साम्राज्य की शान है,
जन्मजन्मांतर तक हर पीढ़ी जिनकी ऋणी है,
आओ आज हाथ जोड़कर, मस्तक झुकाकर,
नमन करे उन पराक्रमी राजा का,
श्री छत्रपति शिवाजी महाराज जिनका नाम है।
जय भवानी, जय शिवाजी।-
ज़िन्दगी की खूबसूरती,
अपने अहंकार को नहीं, पर रिश्तों को सींचने में है,
अपनी आकांक्षाओं को नहीं, ज़िम्मेदारियों को निभाने में है,
हक़ीक़त से मायूस नहीं, पर उसे स्वीकारने में है,
सुख और दुख दोनों में शून्य सा अंतर रखने में है,
होठों पर हंसी और मन में संतुष्टि की भावना रखने में है,
ज़िन्दगी की खूबसूरती,
उसे बिना किसी भय और अपेक्षा के,
खुल के जीने में है।-