शादी की 25वीं सालगिरह थी ।
पर बीवी के लिए एक गुलाब भी ना ला सका वो।
बागीचे के हर फूल को,
अपने बच्चों सा सींचा है माली ने ॥ 🌹-
आओ एक 'छोटी सी कहानी' सुनाता हूँ ॥ ❤
बड़े-बड़े शहरों की तंग गलियों में घूमते हैं,
हम मिडिल क्लास वाले हैं साहेब,
किराए पे घर ढूँढते हैं ॥-
बेरोज़गारी का सावन हमने तुम्हारे शहर में भी देखा ।
नौजवान बिखरे पड़े हैं, सूखे पत्तों की तरह ॥ 🍁-
आज गलती करने पर पापा ने मुझपर हाथ नहीं उठाया ।
उनका 'राजा बेटा' अब 'बड़ा' हो गया है ॥-
आज घर पे मेहमान आये हैं,
आज फिर कुछ अच्छा खाने को मिलेगा ।
आज घर पे मेहमान आये हैं,
आज फिर एक रोटी के चार टुकड़े होंगे ।।-
दोनो साथ बैठे बातें कर रहे थे ।
मास्टर जी ने दोनो को कक्षा के दो कोनों में बिठा दिया ।
दोनो लिखना सीख गये ।।-
कल तक जो मुझे देख नज़रें फेर लिया करते थे,
आज मेरे जनाज़े में,
सबसे आगे चल रहे हैं ।।-
तुम पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें,
मैं विरोध करता विपक्षी सरकार प्रिये ।
तुम चुनाव प्रचार की अच्छे दिन के वादे,
मैं जनरल कैटेगिरी का बेरोजगार प्रिये ॥-
अपनी गलतियों से शर्मशार,
अपने ही नज़रों में वह इस कदर गिर गया,
जैसे रूप्या, डाॅलर के सामने ॥-