शादी की 25वीं सालगिरह थी ।
पर बीवी के लिए एक गुलाब भी ना ला सका वो।
बागीचे के हर फूल को,
अपने बच्चों सा सींचा है माली ने ॥ 🌹-
आओ एक 'छोटी सी कहानी' सुनाता हूँ ॥ ❤
बड़े-बड़े शहरों की तंग गलियों में घूमते हैं,
हम मिडिल क्लास वाले हैं साहेब,
किराए पे घर ढूँढते हैं ॥-
तुम पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें,
मैं विरोध करता विपक्षी सरकार प्रिये ।
तुम चुनाव प्रचार की अच्छे दिन के वादे,
मैं जनरल कैटेगिरी का बेरोजगार प्रिये ॥-
अपनी गलतियों से शर्मशार,
अपने ही नज़रों में वह इस कदर गिर गया,
जैसे रूप्या, डाॅलर के सामने ॥-
बेरोज़गारी से परेशान हो कर उसने
लेखन और चित्रकारी करना बंद कर दिया ।
दोनो हाथों से दिव्यांग, फिर भी उसके बनाए चित्र
हज़ारों में बिक रहे थे ॥ 🎨-
बस ये सोचकर की सर्दियों में घर में धूप नहीं आती,
रामबाबू ने वर्षों से घर के सामने खड़े हरे-भरे,
छायादार पीपल का पेड़ कटवा दिया ।
जब से विदेश में नौकरी लगी है,
बेटा-बहू भी अब घर नहीं आते ॥-
उफ्फ ! फिर से बारिश का मौसम आ गया।
फिर से नदी में तैर कर स्कूल जाना पड़ेगा ।
बाढ़ पीड़ितों का जायज़ा लेने मंत्री जी हेलीकाॅप्टर से आ रहे हैं ॥-
आज मैं सबके लिए कौतूहल का विषय बनी हुई थी,
वस्त्रहीन, मैं जो सबके सामने खड़ी हुई थी।
मेरी अंगड़ाई लेती जिस्म को, सबने खूब निहारा,
आँखों से देख, अंतर्मन की गहराई में उतारा।
ना बाह्य आडंम्बर, ना शर्मो-ओ-हया की दीवार थी,
उस आर्ट क्लास की,
मैं "न्यूड कलाकार" थी ॥-
मैं तुम्हारी पीड़ा,
तुम मेरी संवेदना हो।
मैं अधुरा काव्य,
तुम सम्पूर्ण रचना हो ॥
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