ए वक्त,
तू इतना सिखाता है ऐसा पता होता,
तो तेरे ही स्कूल में दाखिला लिया होता ना।-
वो जो जाते हैं स्कूल तक
उन रास्तों से हम जुदा हो गये
आज अपने स्कूल से
हम विदा हो गये!!-
ऐ-ज़िंदगी स्कूल वाले ख्वाब लौटा देना ,
मेरे बिछड़े मित्रों को दोबारा मिला देना।-
चेहरों की हँसी कहा है
दिखती थी जो वो मुश्कान कहा है
खेलते थे जो कभी बच्चे
वो मदमस्त, बेफिक्र शाम कहा है
रुक गई है जिंदगी एक स्टेशन पे आ के
आगे पटरी के निशान कहा है
बंद है दरवाजे खिड़की भी ना खुले
घूमते थे जो मोहल्ले में वो बचपन कहा है
भीड़ में चलते थे शोर मचा के
पूछे वो राह अब इंसान कहा है
लड़ते थे जो कभी झूले के लिए
बोले वो झूला मेरे बच्चे कहा है
वो स्कूल वो लड़ाई वो बेंच के झगड़े
सवाल करता है स्कूल मेरी संतान कहा है
खो दिया है उनको इस महामारी में कही
पूछे वो मासूम मेरा बचपन कहा है
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ना अश्क़ से वाकिफ थे,
ना ही इश्क़ के काबिल हुए हैं...
फिर भी ऐ ग़म,
हम तेरी स्कूल में दाखिल हुए हैं...-
खफा हो मुझसे बड़ी दूर हो आजकल।
और तुम्हें क्या बताऊं ।
क्या चल रहा है आजकल ।
लहजा भी कभी सिखा था इश्क मैं तेरे ।
और क्या सीखे तुम बताओ।
स्कूल बंद है आजकल ।
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एक लड़का दसवीं कक्षा में पढ़ता था, उसके साथ एक लड़की पढ़ती थी जिसे वो बहुत चाहता था। आज स्कूल का आखिरी दिन था। सब विदाई समारोह में लगे हुए थे। वो लड़का विदाई समारोह की खुशी में शामिल नहीं हो पा रहा था। उसे बार- बार यह ख्याल आ रहा था कि आज हम बिछड़ने वाले है। समारोह जब समाप्त हुआ सब अपने अपने घर जाने लगे लेकिन वो लड़का काफी देर बैठा रहा और सोचता रहा कि ये आखिरी दिन क्यों आता है ।
जब वो घर आया तो बहुत दुखी था और अपने आप से कह रहा था कि काश ये स्कूली जीवन वापिस आ जाएं और हम दोनों फिर एक साथ एक कक्षा में पढ़े।-
कभी फ्लश करना भूल जाता था
कभी ब्रश करना भूल जाता था
कभी तो मैं छुट्टियाँ भूल जाता था
और छुट्टियों में भी स्कूल जाता था-
वो जो स्कूल के दरमियां गुजारे थे दिन
अब याद आ रहा है वाह वाह क्या थे वो दिन
- ©सचिन यादव-