Devvrat Sharma   (Devvrat Sharma)
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Kafkaesque.
Joined 20 May 2018


Kafkaesque.
Joined 20 May 2018
9 NOV 2022 AT 11:28

ये दुनिया बहुत छोटी है!

(अनुशीर्षक पढ़ें)

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6 AUG 2022 AT 9:54

2nd of May and Hope.

(Read Caption)

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20 MAY 2022 AT 8:25

On philosophy, reading and
whatever I can think of.

(Read Caption)

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6 MAY 2022 AT 17:58

"भला मौत और नींद का भी
कोई रिश्ता हो सकता है?"

(अनुशीर्षक पढ़ें)

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8 APR 2022 AT 13:17

रेगिस्तान को रेगिस्तान होने में वक्त लगता है। उसे पहले कई सावन गुजारने पड़ते हैं, बिना बारिश के। उसे कई बारिशों की 'ना' सुननी पड़ती है। हर 'ना' के साथ वो अपने अंदर की नमी खोता जाता है। अंत में कुछ बचता है तो फ़क़त रेत। जिसमें ना नमी होती है, ना नमी को सोखने की ताकत। ऐसे में अगर कोई बारिश उस पर तरस खाकर कुछ बूंदें भी बरसा दे, तो वो उसे सैलाब सी लगती हैं। पर उसकी रेत पहले ही अपनी नियति को स्वीकार करे बैठी होती है। रेगिस्तान चाहकर भी बारिश को नहीं सहेज सकता। उसे बारिश को जाने देने पड़ता है। बारिश भी ठान लेती है फिर कभी किसी रेगिस्तान पर ना बरसने की। ऐसे में बेहतर है कि रेगिस्तान और बारिश दूर ही रहें, कभी मिले ही ना।

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16 MAR 2022 AT 19:57

"कौन जाने!"
"जौन जाने!"

(अनुशीर्षक पढ़ें)

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3 JUL 2021 AT 21:37

Bird said,
"They are caged."
Smiling from its cage.

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14 JUN 2021 AT 10:40

A writer's journey;

From waiting to write.
To writing to wait.

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20 FEB 2021 AT 10:51

(Letter in caption)

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5 OCT 2020 AT 19:10

The Perfect Poem.

(Read Caption)

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