कहना मुश्किल है जरा,मेरे अंदर के तूफा को
बहुत कुछ चल रहा है, मेरे अंदर के संसार में
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शब्दो से सबकी पहचान है
बिना शब्द नही चल सकेगी ये दु... read more
हम बेकूफ़ दिल की बातो मे आ गये
न न करते उनकी हाँ मे आ गये
बहुत रोका खुद को उनसे प्यार करने से
फिर न जाने कैसे पागल दिल की बातो मे आ गये-
कलयुग तूने कैसा ये काम कर दिया
मां पिता को बेघर, बेटा को दीवाना कर दिया
बेटी को तूने बोझ, दौलत को अनमोल कर दिया
जान तूने सस्ती, जीना मुश्किल कर दिया
ईर्ष्या, द्वेष, नफरत, क्रोध सब मे भर दिया
प्रेम, दया, भावना को शून्य कर दिया-
नए रास्तों पर कदम निकलने को है
समय हाथो से रेत सा फिसलने को है
नही पता कहानी का अगला भाग कौन सा है
जिंदगी के नई कहानी का पहला पृष्ट लिखने को है-
कान्हा की बासुरी की धुन है राधिका
जाने जाना प्राण वायु है राधिका
धरती के कण कण की है आधार राधिका
प्रेम की मूर्त ही नही ममता है राधिका
कान्हा के मधुर मुस्कान की वजह है राधिका
माँ का आँचल है ममता की छवि है राधिका
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अपने कर्मों से अपने कार्यों से
हमें ही सीखना है रास्ते चलना
कभी गिर के कभी उठके
हमें ही खोजना हैं लक्ष्य अपना
स्वयं पहचान के परीक्षण करके-
ख़ुद से झूठ मत बोलो,सच का उजाला छुपता नही
स्वयं से कहा सत्य निमल, कोई और सुनता नही
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रोना अब मुझे अच्छा नहीं लगता
अतीत का याद आना अच्छा नहीं लगता
अब स्वयं से मिलना मुझे अच्छा नहीं लगता-
तेरी नादानी और मेरी मूर्खता में फर्क बस इतना है
तू ना समझी में नादानी कर बैठा और
मैं समझ कर भी ना समझी कर बैठी-