Narendra Abhishek   (Narendra 'Abhishek')
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Joined 23 April 2020


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Joined 23 April 2020
15 MAR AT 21:42

पिता के पास शिकायतों का हक़ नहीं होता,
ना थकने की इजाज़त,
ना रुकने की मोहलत।
वो चलता रहता है चुपचाप,
कभी बेटे की ज़रूरत बनकर,
कभी बेटी का सहारा बनकर,
अपने अरमानों को खामोशी से कुचलते हुए,
पर खुद के लिए कभी जी नहीं पाता…!

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27 JAN AT 17:39

ज़ख़्म कहां हैं, ये किसी को क्या बताएँ,
दर्द चुपचाप लहज़ों में उतर आया है।

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11 JAN AT 9:16

लाइफ में एक व्यक्ति
ऐसा जरूर होना चाहिए
जो Fail होने पर भी
हमारे अथक प्रयासों के लिए
हमें गले लगा ले।😌

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3 JAN AT 8:30

क्या हम सच में खुश हैं? 🤔

आजकल हर किसी के पास कुछ न कुछ है—
बेहतर नौकरी, बड़ा घर, महंगी गाड़ी,
लेकिन फिर भी हमारी खुशियों का स्तर
क्यों गिरता जा रहा है?

सोशल मीडिया पर
एक परफेक्ट जिंदगी दिखाना आसान है,
लेकिन असलियत इससे काफी अलग है।

हम जितना ज्यादा हासिल करते हैं,
उतना ही खाली महसूस करते हैं।

ऐसे में हमें सोचना चाहिए,
क्या यह वही है जो हम चाहते हैं?

क्या सच मे बाहरी दिखावा हमें
दीर्घकालिक खुशी दे सकता है?

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23 APR 2024 AT 20:31

खिड़कियों से झांकते दृश्य
हर पल बदलते अपने नजारे

कहीं खेतों का सीना खालीपन से भरा
कहीं लहलहाती फ़सलें भरती रंग हरा

कभी आते हैं जंगल कई रहस्यों को लिए
कभी शहर की रोशनी में दिखते सपने नए

पहाड़ की ऊंचाइयों ने झकझोरा कई बार
नदी के गीत ने सिखाई निरन्तरता हर बार

ट्रैन के सफर पर हैं, कई तरह की कहानियां
हर जीवन में चलती हैं, कई तरह की आंधियां

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6 APR 2024 AT 16:51

कभी जलता हुआ भोजन
कभी धुँधला होता पन्ना
फिर भी चूल्हे की आंच पर
पक रहा है बड़ा सपना

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6 APR 2024 AT 15:59

यात्रा से केवल स्थान ही नहीं बदलते
बदल जाते हैं कई बार दृष्टिकोण भी

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9 MAR 2024 AT 13:35

पूल तो सिर्फ चोटियों को जोड़तें हैं
पहाड़ों को जोड़ती है उनकी गहराइयां

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9 MAR 2024 AT 13:32

कब तक करते इंतजार तुम्हारा
अब हम खामोशी से दिल लगा बैठे
निकल चुके हैं हम अपने सफर पर
अब तन्हाई को अपना बना बैठे

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7 MAR 2024 AT 18:32

तुझे
सुनना...
पढ़ना...
जानना...
देखना..
सब हो जाता है

बस चाहत है तो
सिर्फ एक चीज की
तुम सामने हो और
मैं घण्टों निहारता रहूँ तुझे

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