वादे वफाओं का कर।
मैं उसका दिल तोड़ कर आया हूं।
मसला ए हैं कि, मैं अपना शहर छोड़ कर आया हूं।-
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मै , तो
अपनी तस्वीर भी लगा लूंगा।
बस तुम वादा करो की,मूझसे मोहबत ना होगी।-
किसके नसीब मैं क्या आया ।
मैं बड़ा था घर में।
किसी ने कहा जिम्मेदार आया।-
इश्क से खूबसूरत मेरा यार नजर आया
यार को देखने जमीन पर चांद नजर आया।
की आसमान खफा है जमीन से अपने।
ऐ जुगनूओ की महफिल को कोन सजाने आया।
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गिरकर अपनी नजरों में।
मैं रोज़ संभलने लगा हूं।
जिन्दगी एक बाजार हैं और मैं बिकने लगा हूं।
किनारे से सटे बेफिक्र खड़ा हु इस कदर।
जरूरत के लिए जरूरत से ज्यादा कर्जे में डूबने लगा हूं।
मेरे ख्वाब भी परे है मेरी हकीगत से।
चैन की नींद कहा मजबूर हूं तो भी सोने लगा हूं।
लफ्ज़ को संवारने लगा हु इन दिनों।
बोलता कम हूं अब कोसने लगा हूं।
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घड़ी दो घड़ी अब वह पहर ना रहा।
सुना हूं मैं भी किसी के अब काबिल ना रहा।
मिल के बिछड़ने के सिलसिले हर रोज होते हैं।
मसला ए है कि मेरी खैरियत पूछे किसी और से जाते हैं।-
इश्क तेरी राह में बड़ा संभल के चला था।
खेलने गया था कल और तेरे शहर से हारा था।
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कभी मुकम्मल तौर पर खरीदा गया मैं भी मशहूर अख़बार हूवा करता था।
बदली तारीख और मैं रद्दी हों गया।-