QUOTES ON #साइकिल

#साइकिल quotes

Trending | Latest
15 JUN 2020 AT 8:16

खुद को तकलीफ देकर तेज धूप में जाना बंद हो,
जो छत पर रोज तेरा बालों का यूँ सुखाना बंद हो|

तेरी झलक को खड़ा रहता गली के नुक्कड़ पर
हो आसमाँ में चाँद, पर अमावस की रात बंद हो!

घूरती है लोगो की बदकार निगाहें सरेराह तुमको
नहीं है बर्दाश्त, तेरे दुपट्टे की गुस्ताखियां बंद हो!

एक शिकायत है तुम्हारी सहेलियों की, समझा दो,
नश्तर सी चुभती, देख मुझे उनका मुस्कराना बंद हो!

साइकिल की चेन तेरे घर के सामने ही बिगड़ती है,
करना है दीदार, खिड़की का परदा गिराना बंद हो!

काफी हो चुका लिख लिख के यूँ मोहब्बत जताना,
रूबरु मिलो, किताबों में चिट्ठियां रखना अब बंद हो!

आखरी वक़्त तेरा फैसला झटके से मुल्तवी करना,
"राज" बाबा हैं घर पे अभी...तेरा यह बहाना बंद हो!
_राज सोनी

-


6 MAY 2019 AT 11:00

प्यारी साइकिल,

ज़िन्दगी कैसे दो पहियों पे चलती है
बता दिया था तुमने।
जब पहली बार गिरे थे ना
तभी उठना सिखा दिया था तुमने।
पीछे बैठा शख्स कभी बोझ नहीं लगता
साथी का असली मतलब
बता दिया था तुमने।
हर पेडल के बाद कम होती दूरी
मेहनत और मंज़िल का रिश्ता
समझा दिया था तुमने।
आएगा जो कुछ
ज़िन्दगी में काम मेरे
वो सब कुछ बचपन में ही
सिखा दिया था तुमने।।

-


17 NOV 2020 AT 21:05

ख़ैर....
मेरे साइकिल वाली कहानी में मेरी साइकिल पंचर तो थी पर...
(Read in caption)
©️LightSoul

-


12 APR 2017 AT 2:11

बचपन की मस्ती
बचपन की उधम-धाड़
वो कागज़ की कश्ती
बारिशों की फ़ुहार
वो गन्ने के रस की धार
घंटी बजा के भागना बार-बार
वो साइकिल....वो झूले
वो बगीचों की बहार
छत पर भाग कर चढ़ना
टीवी एन्टीना ऐंठना बारम्बार
स्कूल था मक्का-मदीना
स्कूल ही था कारागार
नकली ही सही पर खूब दौड़ती थी
अपनी भी बड़ी कार
साथ बैठकर खाता था
जब सारा परिवार
रूठता न था कोई
सभी थे मेरे संबंधी मेरे प्यारे यार
जाने कहाँ रह गया...वो बचपन
वो बचपन का भोला प्यार
- साकेत गर्ग

-


31 JUL 2017 AT 22:57

आदत और शौक पहले से कहां रहे
वक्त के साथ धुंधलाते चले गये
Read caption 👉👇

-



✍️✨फैसला, वन, तन्हा सफर✨✍️

बारिश का अंदेशा नहीं था!
तो चल दिए नगर की ओर।
भोर थी! न तनिक थी कोई शोर!
ठंड थी! बड़ी ओस थी चारों ओर!
राह दिक्कतें भरी, वन से हो जाती थी।
घनी थी वह शहर से गाँव मिलाती थी।
१३ घंटे की यात्रा, साइकिल से शाम हो गई।
ऊर्जा; तन में ज्यादा बची न शेष! वो खो गई।
फरमाईशें तरह तरह की जो होने लगीं।
कि बख्श स्वयं समां यूँ साथ रोने लगीं।
मीलों की सफर ही बाकी थी, अब खुश था।
यह पहली दफा कोई डर था जो मनहूस था।

पता है यूँ जंगल के रास्ते कोसों सफर अकेले ठीक नहीं है।
डराता जो है अंधेरा, मजबूरी हो, पर फैसला सटीक नहीं है।

-


12 JAN 2019 AT 22:23

उनकी रातों की नींद उड़ाने आए हैं
गेस्ट हाउस काण्ड को भुलाने आए हैं
साइकिल पर हाथी को सवार करके
वो चाय वाले को पानी पिलाने आए हैं

-


21 MAR 2020 AT 10:23

साथ अपनों का हो सही,
फिर मंजिल दूर नहीं।

-


3 JUN 2022 AT 21:12

🤷 पता नहीं कब मैं तुम तक पहुंचूंगी इस साइकिल से।
बस एक आखिरी बार फ़िर से आ रही हू ,
बाइक के ज़माने में, मैं साइकिल से मिलने ।
बड़ा ही अजीब हैं ना ,ये हमारा साइकिल वाला प्रेम 😄💕

-