_होश_
दोनो की कुंड़ली मे
अलग-अलगसा दोष है
वो गम-ए-दर्द मे खामोश है
और हम...
दर्द-ए-गम से मदहोश है
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जनाब हमे मदहोश ही रहने दे
अगर जो होश में आये,
तो कहीं आपकी दुनिया, तबाह न हो जाये।-
अब लौट कर तुम आओगी नही
इस उम्मीद से खुश रहने लगा हूँ,
एक दुनिया और भी बनाई है मैने,
अब नशे मे मदहोश रहने लगा हूँ।-
मदहोश मत करो मुझे अपना चेहरा दिखा कर।
मोहब्बत अगर चेहरे से होती तो खुदा दिल नही बनाता।।-
उफ्फ ये बिखरे जुल्फो की परेशानियां
ये झुकती पलको की गुस्ताखियां
जान ना ले ले तेरी मेरी ये नादानियां-
कुछ हवाएं जो बहकी सी मदहोश थी
एक राह थी गुमनाम सी
जिस पर ये मुझसे आ मिली
मैं खामोश थी अपनी गहराइयों में
यह मदहोश थी अपनी ऊचाइयों में
इनसे से मिलकर फिर
एक दफा मैं भी मदहोश थी अपनी खामोशी में ,
तब कुछ गहराइयां उस ऊँचाई पर थी
जिस पर अकसर दिल मदहोश हुआ करते है..-
फूलों की खुशबू में, मदहोश जवानी है,
भ्रमरों की रंगत तो, जानी पहचानी है.
सभ्यता कहाँ अपनीं, लज्जा अधनंगी है,
पश्चिमी सभ्यता की , भई चूनर धानी है.
अपने कौन कहाँ? अपने भी पराए हैं,
माया के चक्कर के , रिश्ते बेमानी हैं.
मम्मी डैडी आए, माँ बाबा चले गए,
हाय,बाय में दुनियाँ ,हो गई सयानी है.
सर पर पत्थर मारो ,कह साॅरी चले चलो,
इंसानियत बनीं देखो, अब कैसी हैवानी है.
घर एक नया आता, दो घर से बाहर जाते,
वृद्धाश्रम में देखो , अश्कों की जुबानी है.
नारी बस में नर ,बन मरकट नाच रहे,
कलि के आंगन में, क्या अजब कहानी है.-
कलम ख़ामोश हो गई, कवि बेहोश हो गया।
अवाम आज स्याही के नशे में मदहोश हो गया।-