तुम क्यों मुस्कुरा रहे हो ,मेरी धड़कन बढ़ा रहे हो।
चलाकर बाण नयनों से, मेरा ये दिल चुरा रहे हो।
फहरते ये केश हैं तेरे, उलझती हैं मेरी नजरें।
कसक बढ़ जाती है मेरी, तुम्हारे देख कर नखरे।
तुम क्यों बातें बना रहे हो, मुझ पर जादू चला रहे हो।
तुम क्यों मुस्कुरा रहे हो, मेरी धड़कन बढ़ा रहे हो।
तुम संयम रख नहीं पाते, मेरे बिन रह भी नहीं पाते।
है अधरों पर खिला कंपन, कुछ मुझसे कह नहीं पाते।
तुम खुद बेचैन हो रहे हो, मुझे बेचैन कर रहे हो।
तुम क्यों मुस्कुरा रहे हो, मेरी धड़कन बढ़ा रहे हो।
तुम्हारे माथे की बिंदिया, उड़ातीं हैं मेरी निंदियाँ।
तेरी आंखों में छवि मेरी, मचलतीं रहती हैं रतियां।
मुझे तुम क्यूँ रिझा रहे हो, मुझे नाहक सता रहे हो।
तुम क्यो मुस्कुरा रहे हो, मेरी धड़कन बढ़ा रहे हौ।
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अपने तो अपने होते है।
बाकी सब सपने होते हैं।
रेखा जो खींची अपनों की,
गिनती में कितने होते है ।
बीबी और अपनी औलादें ही,
अपनों की बनीं हैं सीमाएँ ।
उन पर ही स्नेह लुटाना अब,
परिवार की होतीं परिभाषाएं।
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तुम्हारी सादगी ने हमारे दिल को घायल कर दिया,
तुम्हारे अधरों के तिल का ये कातिलाना हमला है।-
जेब में सिक्कों के खटकने की जरूरत पड़ती है,
आज संबंधों को बनाए रखने की भी कीमत लगती है।-
तुम बरसती रहो-------
भीगता मैं रहूँ ----------
तुम हंसती रहो ---------
देखता मैं रहूँ ----------
हाय कस्तूरी यूँ --------
केश फहराओ ना ------
दिशाएं महक जाएंगी।
हवाएँ चहक जाएंगी।
तुम खामोश रह --------
मुस्कुराती रहो ----------
अधर रस अपना -------
टपकाती रहो ----------
वक्त थम जाएगा।
कंपन बढ़ जाएगा।
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प्रथम शिक्षक : मां ( धरती )
द्वितीय शिक्षक: पिता ( आकाश))
तृतीय शिक्षक: परिवार ( मुख्य तारे)
चतुर्थ शिक्षक : समाज ( तारे)
पंचम शिक्षक : गुरू ( चांद)
छठा शिक्षक : मित्र गण, प्रेरणा दाता, अन्य ( प्रकृति)
सभी को शिक्षक दिवस की ढेरों शुभकामनाएं
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जीवन की सच्चाई है आंसू
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बिन शब्दों वाली लिपि हैं आंसू।
भावों की अभिव्यक्ति हैं आंसू।
चक्षु कोणों से निर्झर झरने वाले,
एहसासों की प्रतिलिपि हैं आंसू।
पूरी रचना कैप्शन में,
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फेरी है नजर तूने नजारों से क्या कहें।
तश्वीर पास तेरी इशारों का क्या करें।
बेशक तुझको भूलना हम चाहते हैं पर,
दिल में है बसी तेरी उन यादों का क्या करें।
होना न चाहो मेरा ये तुम्हारी मर्जी है,
पर रातें डरा रहीं हैं उन रातों का क्या करें।
डूबता ही जा रहा प्रिय तेरे ही ख्वाब में
ये आंसू ही नहीं रूकते किनारों क्या करें।
मिटाना चाहते तेरी निशानियों को पर,
किताबों में रखी तेरी चिट्ठियों का क्या करें
साथ उसके देख आंखें देख न पायीं,
जब उसकी हो चली फिर बवाल क्या करें।
जवाब मिल गया हमें सारे सवाल का,
जब छोड़ ही चली गई तो इंतजार क्या करें।
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उनकी खामोशियों ने यूँ कुछ कहा,
मेरी खामोशियों ने सब सुन लिया।
मेरी नजरों से गुस्ताखियाँ कुछ हुईं,
उनकी नजरों ने स्वागत मेरा किया।
गालों की लालिमा मुस्कुराने लगी,
मेरे अधरों ने झट कांपते छू लिया।
मौनता से भरे बिखरे परिदृश्य में,
प्यार के झोके ने तरबतर कर दिया।
हवा चलने लगी हुआ मदहोश मैं,
मेरी बांहों ने खुलकर स्वागत किया।
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दर्द दे दो मुझे तिलमिलाता रहूँ,
के यादों में तुझको बसाता रहूँ।
मिले जख्मों पर मुस्कुराता रहूँ,
के ख्वाबों में तुझको बुलाता रहूँ।
संबधों में कुछ खट्टा मीठा भी हो,
के रूठती तुम रहो मैं मनाता रहूँ ।
प्रेम में द्वंद्व हो खींचातानी भी हो,
के नजरों से नजरें मिलाता फिरूं।
इश्क़ हो पर कुछ शिकायत भी हो,
के मुहब्बत के दीये जलाता फिरूं।
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