हे सखी
खत रोज लिखता हूं ,खत रोज पढ़ता हूं।
मगर मेरी बेबसी देखो,तुझे न भेज पाता हूं।
रह रह पास आती हो, रह रह दूर जाती हो ।
मगर मेरी बेबसी देखो, तुझे न रोक पाता हूं।
तुम्हारी याद आती है, आ मुझको तड़पती है।
मगर मेरी बेबसी देखो, तुझे न भूल पाता हूं।
मेरे दिल में ही रहती हो, होकर अविरल बहती हो।
पर मेरी बेबसी देखो,कि तुझे समझा न पाता हूं।
मेरे ख्वाबों में आती हो ,मेरा सुख चैन चुराती हो।
मगर मेरी बेबसी देखो, न तुमसे बोल पाता हूं।
तुम्हारा सखा
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