मैंने जितना रिश्तों को संभालना चाहा
कमबख्त उतने ही वो बिखर गए,
उस निकलते कांटे की तरह
आखिर ,ज़ख्म देही गए।-
चंद शब्दों से, ज़िंदगी भला बयां कैसे करूं?
छुपा लेंगे गम सारे
इन लबों की मुस्कुराहट के सहारे।
अब बेवजह न ख़याल तेरा होगा
न बेचैन मन, ये मेरा होगा।
भम्र मधुमेह का तोड़कर
पिया पियाला कड़वा रस घोलकर।
व्यर्थ न करो ये समय खामखाँ
इस दिल का सिर्फ़ ख़ुद से राब्ता।
-दीपिका💕
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अपनी खूबियों का जश्न मनना गुनाह नही
पर खामियों का नज़र न आना...
आखिर कहां तक सही?
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There are no free lunches,
Even the Thief has to sacrifice his peace of mind.-
Explaining yourself and making everyone happy is as easy as balancing the alive frogs.
I skip this EASY work for you.😅
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आज मेरे अल्फ़ाज़, मुझसे रूठकर कहने लगे...
तुम भी ज़रूरत पर ही याद किया करते हो।
अब मैं उन्हें कैसे बताऊँ.....
"की मुलाकाते ,तो खुदसे ही ,कम सी कर दी हैं।"
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कौन कहता है कि हम बातों को राज़ रखा करते हैं
कभी हमारी गलियों में आकर तो देखो
कभी सज़ा तो कभी इनाम से बख्शा है खुदको।-
If you are searching a person ,who will change your life, then look in the mirror.
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