उसके बिना मेरा कोई वजूद है क्या ये मांग का सिंदूर, ये पैरो को बिछिया ये हाथों का कंगना ये कानो का झुमका ये माथे की बिंदिया सब उसके लिए तो है ,इसमें मेरा कुछ है क्या
ये इठलाना ये इतराना ये आदाओ की बिजली गिराना ये आंखो का काजल ये होंठो की लाली ये बालो का गजरा ये हाथों की मेंहदी, सब उसी के लिए तो है बिना उसके इन सब की मुझे जरूरत है क्या
मुहब्बत तुमसे बेइंतहा करते है हम, ये बात और है कह पाते नहीं हम तुम्हे हल्की सी खरोच भी लग जाए गर तो कराह जाते है हम तुम्हे छोड़ के जीना पड़े गर मुझे अरे छोड़ो जान जीना तो दूर चैन से मर भी ना पायेंगे हम तुम ही मेरा जिस्म हो तुम ही मेरी जान ,तुम ही मेरी ज़मी तुम ही आसमान हो,तुम ही दिल तुम धड़कन तुम ही मेरी दुनिया जहान हो अब तुम ही बताओ तुम्हे छोड़ के कहा जायेगें हम
लग जाए उसे मेरी भी उम्र ऐ खुदा ये दुआ कबूल करना मेरे मेहबूब को दुनिया की बुरी नजरों से दूर रखना बेवजह बेइंतहा तड़पा है वो इस कदर ऐ खुदा अब न तड़पे वो कभी जिंदगी में दुबारा उसे हर दर्द से हर बला से महफूज रखना