प्रेम एक तर्क हीन विषय है इसे
भावनाओं के तराजू पर ही रहने दें ।-
दुनिया की सबसे "मूल्यवान" और "अमूल्य" भाषा होती है
"भावनाओं की भाषा",
इसे तो घोषित कर देना चाहिए "मानवता की भाषा",
इस "भाषा" को समझने का तरीका भी बड़ा है "अद्भुत",
जो "अनपढ़" है पर उसके अंदर "मानवता" है तो
वो "सुन समझ" सकता है इस भाषा को,
पर जो बहुत बड़ा "डिग्री धारी" है,
पर उसके अंदर "मानवता" नहीं है
वो इतने सारे डिग्री के बाद भी
उसे "सुन समझ नहीं सकता"..!!!
(:--स्तुति)-
सफर जो सोचा था तुम्हारे साथ, उसे अकेला ही पूरा किया हर बार,कई बार
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कभी कभी अक्षरों को खुला छोड़ देती हूं
ये खूब समझदार होते हैं
मेरी भावनाओं को खुद ही पढ़ लेते हैं
और खुद ब खुद सज जाते हैं
हाँ!!!! सच्ची!!!!-
जहा पर लोग नहीं समजते है वहा से दूर चले जाना ही योग्य होता है...
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जिंदगी में जिसने हमारे जज्बातों को समझा
उसने ही हमें इस जहाँ में अपना समझा ।
शुक्रिया उनका उन्होंने हमें अपना समझा
हमारें दिल भावनाओं को जिन्होंने समझा ।-
क्या लिखूँ उसके लिए जो खुद में ही कायनात हैं ,
स्वयं में ही समेटे एक विराट स्वरूप हैं ,
सारे रिश्तें इन्हीं में समाते हैं ,
कभी माँ , बेटी , बहन तो कभी पत्नी बनकर साथ देती हैं ,
पूरा जीवन अपने किरदार निभाती रहती हैं ,
खुद को पीछे रख अपनों को सहारा देती हैं ,
दो कुलों को रौशन करती हैं ,
कुलों के मान के खुशी के खातिर न अपना अरमान रखती हैं ,
अपने सारे रिश्तों को संभालती हैं और उन्हें संवारती हैं ,
भावनाओं से बांध कर रखती हैं रिश्तों की हर डोर को ,
माता-पिता के कलेजे का टुकड़ा , घर की किलकारी होतीहैं लड़कियाँ
घर - परिवार , देश - समाज़ की आन , बान व शान होती हैं लड़कियाँ ,
पर स्पर्श खुरदुरी हो तो रोती हैं लड़कियाँ ,
बुरी नज़र के आगे सहम सी जाती हैं लड़कियाँ .....
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#21-06-2020 # काव्य कुसुम # अच्छा लगता है #
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भावनाओं के सागर में डूबते निद्रामग्न हो सपनों को देखना अच्छा लगता है।
मन की पीड़ा के घुमड़ते बादलों में अपनों को देखना अच्छा लगता है।
सपनों के सैलाब में सतरंगी इन्द्रधनुषी रंगों से सराबोर हो ज़िंदगी -
आँखों में मोती से झलकते जल - कण में अपनों को देखना अच्छा लगता है।
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