तेरी हर एक ख्वाहिश को सजाया है दिल में,
तेरे नाम से ही सांसों का हर पल आबाद हूँ मैं।
जो तू कह दे साथ चलने को,
तो हर मोड़ पर तेरा हमसफ़र बनके शाद हूँ मैं।-
not to forget what they did,
but to set my soul free from where it was hid.-
दर्द में भी इक सुकूँ का फ़साना निकला,
उसकी यादों से दिल का ज़माना निकला।
हर तबस्सुम में छुपे थे ग़मों के निशाँ,
हम समझते रहे वो दीवाना निकला।
चाँदनी रात में जब उसे याद किया,
आसमाँ से भी कोई अफ़साना निकला।
हमने तो चाहा था बस इक वफ़ा,
वो तो हर रंग में बेगाना निकला।
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ज़िंदगी एक नग़्मा है, अश्कों में ढलती,
ख़्वाहिशों की शम'अ भी आँधियों में जलती।
मक़सद की रहगुज़र में उलझे हैं क़दम,
क़िस्मत की तहरीरें लफ़्ज़ों से फिसलती।
हर ख़्वाब के पहलू में तन्हाई गहरी,
चमकती हैं आँखें, मगर रौशनी बहरी।
तदबीर की चादर भी छोटी पड़ी है,
तक़दीर की क़िस्तें भी मुश्किल में ठहरी।
मुसाफ़िर हैं सारे, न ठिकाना कहीं है,
सहर भी धुंधलकी, न शामें जहीं है।
रहमत के साए में रह ले जो थोड़ा,
वो ही तो फ़ानी हयात का सुखन है।
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सुनो हरकारा, ये पैगाम उन्हें सुनाकर आना,
जो दिल में बसे हैं, उन्हें एहसास दिलाकर आना।
अगर मुस्कुरा दें तो कहना, मैं इंतज़ार में हूँ,
वरना उनकी कलम से इकरार लिखवाकर आना।
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इक सदा ठहरी हुई, नग़्मों में उलझी शाम है,
रूह-ए-ग़म की चादरों में जल रही इक शाम है।
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