# 19-06-2025 # नव काव्य लेखन # मात्रिक छंद # ललित पद ( सार ) छंद #
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अच्छी - सच्ची बातें करके, जो सबको सहलाए।
दुःख में आये काम सभी के, सेवक वो कहलाए।।
याद करेगी दुनिया सारी, अच्छी तेरी सेवा।
दीन - हीन की सेवा करके, बाँटो सबको मेवा।।
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# 16+12=28 मात्रा # # चार पद, दो-दो समतुकांत। #16 मात्रा - चौपाई छंद अनुरूप #12 मात्रा-तीन चौकल,अठकल व चौकल, चौकल व अठकल।चरणांत दो गुरु # वाचिक भार 211, 112 मान्य।
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# 19-06-2025 # प्रभाकर भारतीय कृत काव्य कुसुम # मंज़िल # प्रतिदिन प्रातःकाल 06 बजे #
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हँसते-हँसाते, चलते-चलते मंज़िल पर अपनी बढ़ते रहो।
पग-पग पर बाधाएं आयेंगी पर मंज़िल अपनी चढ़ते रहो।
चेहरे पे रखोगे मुस्कान सदा तो मिल कर ही रहेगी मंज़िल-
मंज़िल पर परचम फहराने को तुम नयी इबारत गढ़ते रहो।
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# 18-06-2025 # नव काव्य लेखन # मात्रिक छंद # ललित पद ( सार ) छंद #
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कैसा तेरा प्यार नशीला, पुर्जा - पुर्जा बोले।
लाज हया सब छोड़ी तू ने, खुल्लम- खुल्ला खोले।।
अंग - अंग से दिखे जवानी, तन-मन सबके- डोले।
सावन की बरसती रात में, बहके हौले - हौले।।
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# 16+12=28 मात्रा # # चार पद, दो-दो समतुकांत। #16 मात्रा - चौपाई छंद अनुरूप #12 मात्रा-तीन चौकल,अठकल व चौकल, चौकल व अठकल।चरणांत दो गुरु # वाचिक भार 211, 112 मान्य।
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#कँटीले फूल # 18-06-2025 #
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चौथी पास राजा लोकतंत्र में बिलकुल अनफिट होता है।
अपने भक्तों के वशीभूत सत्ता दल का टूलकिट होता है।।
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# 18-06-3025 # प्रभाकर भारतीय कृत काव्य कुसुम # नज़र # प्रतिदिन प्रातःकाल 06 बजे #
------------------------------------------------–--------- जब उस पर मेरी नज़र पड़ी, तो मुझे कर गई घायल।
घायल की गति घायल जाने, जब वो खनकाती पायल।
दिल का चैन लुट गया सारा, मैं फिरता मारा - मारा -
जादू हुआ तिरछी नज़रों का , कर डाला मुझको कायल।
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# 17-06-2025 # नव काव्य लेखन # मात्रिक छंद # ललित पद ( सार ) छंद #
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रिश्तों की टहनी सूखी तो, प्यार नहीं मिलता है।
सूखी टहनी और कली से, फूल नहीं खिलता है।।
हँसो-हँसाओ इस जीवन में, सबकुछ सहते जाओ।
सबकुछ सहकर भी तुम सबको,शुभशुभ कहते जाओ
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# 16+12=28 मात्रा # # चार पद, दो-दो समतुकांत। #16 मात्रा - चौपाई छंद अनुरूप #12 मात्रा-तीन चौकल,अठकल व चौकल, चौकल व अठकल।चरणांत दो गुरु # वाचिक भार 211, 112 मान्य।
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# 17-06-2025 # प्रभाकर भारतीय कृत काव्य कुसुम # मोक्ष # प्रतिदिन प्रातःकाल 06 बजे #
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आतंकी साया कुचल दिया, सबकुछ अब सिंदूरी है।
कुचल दिया अब आतंकी फन, चाह देश की पूरी है।।
अहमदाबाद से लंदन या, केदारनाथ तक जाओ।
फ़ौज खड़ी जिम्मेदारों की,मोक्ष सहज ही अब पाओ।
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# 16-06-2025 # कँटीले फूल #
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रगों में गर्म सिंदूर और आँखों में नमी है।
बताओ अब किस बात की क्या कमी है।।
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# 17-06-2025 # कँटीले फूल #
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जिनकी रगों में ख़ून ही नहीं होता उनको रोना पड़ता है।
चैन की नींद के बजाय मन मसोस कर सोना पड़ता है।।
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# 16-06-2025 # नव काव्य लेखन # मात्रिक छंद # ललित पद ( सार ) छंद #
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चिकनी - चुपड़ी बातें करके, पत्नी को बहलाए।
झाँसे में ले लेने वाला, कामयाब कहलाए।।
कांपलेक्स का वादा करके, जल्दी घर को आये।
लाल आँख से बचने ख़ातिर, बगिया- बाग घुमाये।।
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# 16+12=28 मात्रा # # चार पद, दो-दो समतुकांत। #16 मात्रा - चौपाई छंद अनुरूप #12 मात्रा-तीन चौकल,अठकल व चौकल, चौकल व अठकल।चरणांत दो गुरु # वाचिक भार 211, 112 मान्य।
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