# 17-09-2025 # प्रभाकर भारतीय कृत काव्य कुसुम # सुख # प्रतिदिन प्रातःकाल 06 बजे #
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हमको सबका जीवन - घट पीयूष - सलिल से भरना होगा।
सबके सुख की ख़ातिर हमको स्व सुख का उत्सर्ग करना होगा।
तब दीन - हीन के आँसू शुष्क होकर जीवन में वरदान बनेंगे
मिले न दुआएं कभी किसी की तो अब जीते जी मरना होगा।
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# 16-09-2025 # कँटीले फूल #
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लातों के भूत बातों से तो नहीं मानेंगे।
वोट चोर वोट की ताकत नहीं जानेंगे।
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# 16-09-2025 # नव काव्य लेखन # मात्रिक छंद # निश्चल(निश्छल) छंद #
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#16 यति 7 = 23 मात्रा #चार पद, # दो-दो समतुकांत। # विधान / मापनी - 16 मात्रा यानी 2 अठकल 7 मात्रा यानी 4+गाल # पदांत गाल (21) # रौद्रार्क जाति छंद
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धरती धोरों की मनमोहक, इसका रूप।
सबकी सिरमौर इस पर नाज़, इसका रूप अनूप।।
रेतीले धोरे गाते हैं, मथुरिम गीत।
छूमंतर होते दर्द सभी, बनकर मीत।।
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# 16-09-2025 # प्रभाकर भारतीय कृत काव्य कुसुम # दूल्हा #प्रतिदिन प्रातःकाल 06 बजे #
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दूल्हा तो खाते - पीते घर का ही हो।
दूल्हा कभी खाता-पीता भी नहीं हो।
दुल्हन के अच्छे भविष्य के ही वास्ते-
दूल्हा, दुल्हन के बाप जैसा नहीं हो।
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# 15-09-2025 # नव काव्य लेखन # मात्रिक छंद # निश्चल(निश्छल) छंद #
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#16 यति 7 = 23 मात्रा #चार पद, # दो-दो समतुकांत। # विधान / मापनी - 16 मात्रा यानी 2 अठकल 7 मात्रा यानी 4+गाल # पदांत गाल (21) # रौद्रार्क जाति छंद
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यौवन वय की चंचलता में, अटकी साँस।
ख़्वाब सुनहरे सारे रूठे, लगती फाँस।।
जीवन हमको यह सिखलाता , जीतो आज।
कैसे कैसे दिन दिखलाता, धारो ताज।।
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# 15-09-2025 # कँटीले फूल #
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दरबारी नही दरबार का जो गीत खुशामद के गाऊँ।
चरण पकड़ कर दरबार के चरणों में शीश झुकाऊँ।।
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# 15-09-2025 # प्रभाकर भारतीय कृत काव्य कुसुम # मानहानि #प्रतिदिन" प्रातःकाल 06 बजे #
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मैं वो शख़्स नहीं जो मानहानि में दो साल की सज़ा पा जाऊँगा।
मैं अदालत में सरकार और शिकायत कर्ता के छक्के छुड़ाऊँगा।
अदालत में अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार के आलोक में लड़ूँगा-
मैं सरकार को आईना दिखा कर ससम्मान बरी होकर आऊँगा।
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# 14-09-2025 # कँटीले फूल #
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चलो अब दिलदार चलो,
अब सभी उस पार चलो,
साल पचहत्तर अब पूरे-
वहाँ सब तैयार चलो।
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# 14-09-2025 # नव काव्य लेखन # मात्रिक छंद # निश्चल(निश्छल) छंद #
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#16 यति 7 = 23 मात्रा #चार पद, # दो-दो समतुकांत। # विधान / मापनी - 16 मात्रा यानी 2 अठकल 7 मात्रा यानी 4+गाल # पदांत गाल (21) # रौद्रार्क जाति छंद
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रूप सलोना रानी तेरा, खिलता जाय।
देख तुझे संयम का शासन, हिल ना पाय।।
बाँह पसारे सभी निहारे, जिसकी राह।
घायल दिल को जो संभाले, उसकी वाह।।
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# 13-09-2025 # प्रभाकर भारतीय कृत काव्य कुसुम # अहसास #प्रतिदिन प्रातःकाल 06 बजे #
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आप जितने अच्छे बनोगे आपको उतने ही घटिया लोग मिलेंगे।
आपकी भलमनसाहत को देख घटिया लोगों के चेहरे खिलेंगे।
एक बार अपने अच्छे होने के अहसास को कम करके तो देखो-
ज़िंदगी के सभी मुकाम पर आप अच्छे-से-अच्छे लोगों से घिरेंगे।
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