खींच कर उतार दिया ख़्वाबों को
मखमली आंखों से
अब हक़ीक़त के रास्ते से गुज़र कर
मुझतक आना होगा
बहुत ऐश की ज़िंदगी जी लिये ख़्वाबों ने
मेरे इन आँखों में
अब कुछ नज़ारे असल ज़िंदगी के अपने
तजुर्बे में लाना होगा-
ये जीवन शून्य से ऊपर कभी नज़र न आया 0⃣0⃣0⃣✒️✏️
तुम्हारी ज़िकर तुम्हारी फ़िकर ये मेरी नज़र है तुमको नज़र
कैसे समझाऊँ की जी न लगे तुम बिन न जाना इधर उधर-
चाँद को चाँद की तरह किसने बताया भरा है पेट तो वो सुंदर मुखड़े जैसा पेट खाली हो तो वो चुपड़ी रोटी जैसा
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में मुझे उलझाकर
ले गया दिल मेरा सुनहरे सपने दिखाकर
अपने रंग में मेरे सादे से उल्फ़त को रंगकर
वीरां कर गया मुझे अपना आशियाना सजाकर-
इन स्वप्निल नीली ऑंखों में
समंदर सी गहराई है
तू उतरने की इज़ाज़त दे तो
मैं डूब के तर जाऊँ
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ভেসে আসে স্মৃতি গুলো
আছে তবু ও নেই যেন পথভুলো
আকাশ পথে ঝরে পড়ে হয়ে বৃষ্টি সে
উদাসী হাওয়া মন করে দেয় এলোমেলো-
व्याकरण मात्रा अलंकार छन्द
इनसे सबसे सुसज्जित हमारी प्यारी हिंदी
सर ऊंचा रहे हिंदी का सदा
सभी भाषाएं मुख और हिंदी माथे की बिंदी-
समंदर और रेत की तरह रिश्ता हमारा
साथ नहीं और छोड़ा भी नहीं
जैसे चाहत है सदियों के साथ का मगर
दायरे में है पर मयार में नहीं-
साथ देने की प्रवीणता जिसमे
वह "सहधर्मिणी" है
जीवन निर्विघ्न रूप से अतिवाहित हो
इसलिए कर्तव्य पथ पर निरंतर साथ दे
वह "अर्धांगिनी" है
अपराधों को क्षमा करती हुई
अपनी गलतियों पर पश्चात्ताप करने वाली
"वामांगी" है
जीवन भर साथ निभाने की कटिबद्धता को
प्रण स्वरूप पूर्ण करने की प्रबलता
ही "नारी" है
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