सफर पथरीला
ख़्वाब जहरीले
तू ही बता ज़िंदगी
तू बने कैसे सजीले-
ANAMIKA GHATAK
(Kavyana अनामिका ঘটক)
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मुझे जीवन का गणित कभी समझ न आया
ये जीवन शून्य से ऊपर कभी नज़र न आया 0⃣0⃣0⃣✒️✏️
ये जीवन शून्य से ऊपर कभी नज़र न आया 0⃣0⃣0⃣✒️✏️
Joined 25 January 2017
AN HOUR AGO
मैं उदास हूँ
तब तन ने कहा ये तेरी आदत है
जब तन ने कहा मैं थक चुका अब
तब मन ने कहा ये तेरी फ़ितरत है-
7 HOURS AGO
मन क्या है एक खुला आसमान
जिसमे खुशियों के परिंदे उड़ते फिरते हैं
ग़मों के बादल बरसते रहते हैं
उम्मीदें किरण बनके बदन सहलाती है
जज़्बात सितारोँ सा टिमटिमाता है
-
8 HOURS AGO
में एक अजब नशा होता है
वो तिश्नगी वो चाहत
एक अलग मज़ा होता है
दुनिया से बेपरवाह उसे
एकटक देखते रहना
उसकी तग़ाफ़ुल आंखों में
चाहत का असर तो होता है-
8 HOURS AGO
नारी अपने अस्मिता को मिटाकर
अस्तित्व को जनम देती है
ये मात्र प्रकृति का संचालन ही नहीं
प्रकृति के प्रति विशुद्ध प्रेम है-
19 HOURS AGO
उनकी यादें बेरोक चली आती है
नहीं रहती जाने की कोई जल्दी
भूली हर बात याद दिलाती रहती है-
21 HOURS AGO
चलने का ख़्वाब दिखाया तो था
ज़िंदगी ने हसीन लम्हों से
ज़िंदगी को रिझाया तो था-