हमेशा बादल से घिरा रहता है
ठंडक तो देता है शरीर को
पर साये को जुदा रखता है-
ये जीवन शून्य से ऊपर कभी नज़र न आया 0⃣0⃣0⃣✒️✏️
चाँदी जैसा तन को छूकर गिर रही बारिश की बूँदें
फुहार बन लिपट जाऊँ तुम्हारी संगमरमरी बदन से-
जबसे ये बात ज़िंदगी को पता चली है
जाने कितने इम्तेहान ले चुकी है वो
सहूलियतें सारी अड़चनों में ढली है-
बेसुध होकर पड़ी रहती हूं
तुम्हारी याद में
तुम तो होश में हो मेरी ख़बर
लेते क्यों नहीं
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यकीन मानो मैं अपने जख़्मों को नहीं छुपा रही हूँ
उबर चुकी हूँ अपने जख़्मों से अब मुस्कुरा रही हूँ-
फूलों ने कभी तितलियों से
प्यार नहीं किया
या शिकार किया है या उसे
शिकार होते हुए देखा है
फिर भी तितलियों को
फूलों से प्यार है
शिकायत नहीं-
लबों को ख़ामोश रहने दो
ये कुछ पल है सुकून के
इन पलों में मुझको बहने दो
रह जाने दो ग़मों को गहराई में
खुशियों की लहरें उछलने दो
किनारों पे पसरा सन्नाटा है
उस सन्नाटे में मुझे खो जाने दो-
कुछ इस क़दर खोए हैं तेरी बाँहों की पनाह में,
सारी फिक्रें, सारे ग़म, रह गए हैं रात ए स्याह में।-