रहता है हमारे जिस्म में धड़कता ग़ैर के लिए
सच इससे बड़ा दोगला तो पूरे ज़माने में नहीं!!-
जीवनसाथी की हर बात माने तो
लड़की संस्कारी कहलाती है
और लड़का जोरू का गुलाम हो जाता है
दोगली सोच का दोगला समाज है साहब
यहां कुछ भी हो जाता है ।।-
सब जानते हैं, क्या है इसमें अजीब!
दिल से बड़ा ना दोस्त, ना ही कोई रकीब!!-
अपने ही दिल के हाथों मजबूर हुए हैं हम भी
हमको कोई और हराए पूरे ज़माने में नहीं है।-
दोष दिल का नहीं निगाहों का है सनम !
न मिलती ये निगाहें न बदनाम होते हम... 😂
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इंसान-ऐ-फ़ितरत में ही हैं बेवफ़ाई,
ख़ामख़ा दिल-ऐ-धड़कन को बदनाम करते हो|
ग़र इसने की बेवाफाई तो समझो राम नाम सत्य हैं हमारा|-
हंसी आती है ऐसे लोगो पे जो कड़वाहट भरे शब्दों से दूसरों को नीचा दिखाने का प्रयास करते हैं ,और फिर उनकी भाषा में प्रतिक्रिया दो तो फिर वो खुद को आपका शुभचिंतक और आपको दोगला कहते हैं ।
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वो दिल कैसा दोगला जो खुद को भूल गया,
अपनों को छोड़ गै़र के लिए धड़कने लगा..!
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दोगलापन
जब कभी तन्हाई सताती है,मन बेचैन हो जाता है।
फोन करो ना करो पर ऊपर से व्हाट्सएप की नोटिफिकेशंस पढ़कर ,भेजने वाले को रीड रिसिप्ट ना मिले ,यह हुनर मुझे नहीं आता है।
नहीं आती राजनीति वो भी घर की, क्या बताएं फ़िर, बाहर की दुनिया के सफर की?
जल्दी से दिल को,हर कोई नहीं भाता है,
पर जो भी भाता है ,वह दिल से कभी नहीं जाता है।
प्यार,नफ़रत या शिकायत, जो लोग दिल में बसे हैं, उन्हीं से ही है,
मैं तो बस अभिव्यक्त कर देती हूं,बाकी दृष्टिकोण दोनों का चाहे गलत हो या सही है।
पारदर्शी स्वयं हूं और केवल पारदर्शिता ही चाहिए,
न जीवन में बिन बुलाए आइए ना अनुमति लिए बिना जाइए।
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