वो...कहना था कि...
न पूछो कैसे दरिया को समन्दर किया है।
मिठास को मनका,गहराई को मंजर किया है।।
छोड़ आई कुछ राहों में,कुछ समेट कर अंदर किया है...
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कुछ यादें,
कुछ तस्वीरें।
वंचित कर दी जाती हैं
कीमती कैमरे की रीलों पर
चढ़ने...
कीमती फ्रेम में
जड़ने...
और कीमती दीवारों पर
टंगने....से...
क्योंकि,
नियति उन्हें,"काल की क्रूरता"
से बचाकर 'स्मृति पटल पर'
उनका जीवंत रहना
तय करती है...
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रंगों के भी कितने रंग होते हैं न....
प्यार से उड़ेल दिए गए तो होली,
सलीके से सजा दिए गए तो रंगोली।
शक़्कर संग घुल जाये तो क्या बात,
पानी के संग बह जाये तो बुरी बात।
तरतीब से चढ़ाये जायें तो सूरत सवार दें,
बेतरतीब से लग जायें तो बात बिगाड़ दें।
बिन बुलाये मौजूदगी जताये तो दाग,
काल के अंकों में सिमट जायें तो खूबसूरत याद।
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यूँ ही निकल पड़ने से पहले
तय तो कर लो.....
जाना कहाँ है।।
राहों का क्या,वो तो
कहीं न कहीं पहुँचा ही देंगी...
फिर मत कहना,
गलत जगह आ गये।..-
तुम उसे रोकना मत
जाने देना...
क्योंकि वो रुक नहीं पायेगा।
अगर रुक गया...
फिर उग नहीं पायेगा।।
उसे किवाड़ की बाहें,
रोक नहीं पायेंगी...
उसे आँगन की क्यारियां
समेट नहीं पायेंगी...
पर तुम उदास मत होना,
वो जाकर लौट आयेगा,
नई शरुआत लेकर,
उजाला साथ लेकर।।-
जिंदगी में रिश्ते भी,
रंग और गुलाल से होते हैं...
कुछ कच्चे,कुछ पक्के,
और कुछ कमाल के होते हैं...
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Dreaming is not duty of eyes
But...
An important part of it's
Profession.....-
मुर्दा हो अगर कबर चाहिए।
जिन्दा हो अगर हुनर चाहिए।।
है ख़्वाहिश अगर कामयाबी की,सबर चाहिए...-
जब खुद को देखा भीतर से
कुछ उधड़े धागों से जीवन झाँक रहा था...
अपने हिस्से की पीड़ा
अपने हिस्से का धागा मांग रहा था...-