Uma Moon   (मनके मन के📝(Uma Moon))
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Uma.nishant786@gmail.com
Joined 28 April 2019


Uma.nishant786@gmail.com
Joined 28 April 2019
5 HOURS AGO

तिनका हो या धागा,खास हो जाता है।
सराबोर होता है जब,प्रेम और विश्वास से।।

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21 JUL AT 23:02

जाने कब से संभाले रखा है मैने एक एल्बम पुराना
मुस्कुराता है जहाँ हर्फ़ दर हर्फ़ एक गुजरा जमाना

वो आँखों का आँखों से मिलना होठों का खिल जाना
अटपटा लगता था तब हाय हेलो की रस्में निभाना

वो कुमार अंकल की छोटी दुकान और ढेरो सामान
वो कच्ची पक्की पेंसिलें और पाइलट पेन से पहचान

हिंदी की घंटी मैथ्स के सर और इंग्लिश का टेस्ट
पीटी से दिल चुराना साइंस का गुरुर मस्ती और रेस्ट

वो दूबे मैम का काजल चक्रवर्ती मैम की क्लास
कोकोकोला मैम के गोले हैवी मैम की आवाज़

वो लैब में जाना फ़ाइल बनाना शरारतें और बदमाशीयाँ
फेल का डर कम ज्यादा नम्बर कभी डांट कभी शाबाशियां

वो लाइन लम्बी वो लंच की घंटी वो जमीन वो गालियारे
वो स्वाद के टुकड़े पानी की घूंट और अचार के चटकारे

वो कबड्डी वो खो-खो पिड्डू छुआ-छूत छुप्पम छुपाई
वो झगड़े वो रो धो वो गेंदा गोटी और चोर -सिपाही

वो रूठना मनाना कसमें खाना टेबल बजाना अंताक्षरी और गाना
अनगिन किस्से अनगिन यादें यही तो हैं अनमोल खजाना

वो बोर्ड की तैयारी वो जीत और हार रिजल्ट का इंतजार
आखिर बिदाई की बारी स्कूली त्योहार भूलते नहीं यार
भूलते नहीं यार....


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21 JUL AT 22:04

जो मैं लिखूँ,तुम पढ़ पाओगे क्या
बादलों से बूँदे,गढ़ पाओगे क्या...

कुछ आड़ी कुछ तिरछी लकीरों को
छूकर अक्षर कर पाओगे क्या...

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12 JUL AT 18:20

U r not n ordinary chapter of my story
U r not only a most beautiful part of my journey....
U r peace and piece of my integumentry system
Skeleton system
Vascular system
Respiratory system
Digestive system
Cardiovascular system
Nervous system
Muscular system
Lymphatic system....
And I am flowing inside u each and every moment....
Its an amazing experience for my watching a growing dot...now u r 25yrs matured man so step more sincerely through the world to write ur own beatiful story....❤️
Wishing u a special day...with lots of blessing an love...🥳🎊🍫🎂😍

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5 JUL AT 22:26

खुद में उलझें हैं कुछ यूँ
कि सुलझने को जी नहीं करता...
कोई कितनी भी घिसे तिलियां
सुलगने को जी नहीं करता...

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29 JUN AT 20:56

कहानी गढ़ी जाती है..
किरदार गढ़े जाते हैं..
गढ़ कर,
गाड़ दिए जाते हैं..
जीवित किस्से।
अवशेष पढ़े जाते हैं।।

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10 JUN AT 22:53

वो...कहना था कि...

न पूछो कैसे दरिया को समन्दर किया है।
मिठास को मनका,गहराई को मंजर किया है।।

छोड़ आई कुछ राहों में,कुछ समेट कर अंदर किया है...






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9 JUN AT 1:48

कुछ यादें,
कुछ तस्वीरें।
वंचित कर दी जाती हैं
कीमती कैमरे की रीलों पर
चढ़ने...
कीमती फ्रेम में
जड़ने...
और कीमती दीवारों पर
टंगने....से...
क्योंकि,
नियति उन्हें,"काल की क्रूरता"
से बचाकर 'स्मृति पटल पर'
उनका जीवंत रहना
तय करती है...

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6 JUN AT 9:06

रंगों के भी कितने रंग होते हैं न....
प्यार से उड़ेल दिए गए तो होली,
सलीके से सजा दिए गए तो रंगोली।
शक़्कर संग घुल जाये तो क्या बात,
पानी के संग बह जाये तो बुरी बात।
तरतीब से चढ़ाये जायें तो सूरत सवार दें,
बेतरतीब से लग जायें तो बात बिगाड़ दें।
बिन बुलाये मौजूदगी जताये तो दाग,
काल के अंकों में सिमट जायें तो खूबसूरत याद।

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2 JUN AT 9:01

यूँ ही निकल पड़ने से पहले
तय तो कर लो.....
जाना कहाँ है।।
राहों का क्या,वो तो
कहीं न कहीं पहुँचा ही देंगी...
फिर मत कहना,
गलत जगह आ गये।..

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