चित् पे चढ़े तौ भी न नीक
चित से जो उतरे उहो न ठीक
चित बेचारा का करे
ओकर मनवा न ही ठीक न ही नीक
मयंक कुमार द्विवेदी-
Follow करने का व्यर्थ प्रलोभन न दें धन... read more
जब शब्द अपनी मर्यादा लाँघती हैं
तो अच्छे-2 और ऊँचे से ऊँचे सम्बंध भी छोटे पड़ जाते हैं-
जो मर के भी न मर सके
वो जिंदा लाश हूँ मैं
दफ़्न हो जाऊं फ़िर भी न बुझे
वो अधूरी प्यास हूँ मैं-
बेरंग होती दुनिया में न जाने कितने रंग आएंगे
कुछ अपने रंग दिखाएंगे कुछ बेरंग में रंग जायेंगें
रंगों के इस रंगमंच में छद्म अभिनय करने वाले
तेरे जज्बातों के रंग में भंग करते जाएंगे
कुछ टूटे हैं हालातों से कुछ अपने तोड़ जायेंगें-
बैठें रहें हम अपनी परेशानियों को लेकर
उधर कोई जिंदगी से रूठ बैठा हैं-
विचारों की नवल दीप्ति हैं दीप्ति
जैसे विचारों से हो उसका 13 मेरा 7-
देख ले चाहे जितना गौर से तस्वीर हमारी
छायाचित्रों में जान आया नहीं करती-
देते हैं अग्रिम शुभकामनाएं आपको
सदा खूबसूरती ही नहीं
वास्तविकता को भी आप प्रस्तुत करतें रहें
पहुँचे उस बुलंदियों पर
जहाँ से जहां खूबसूरत दिखाई देती हो-