Shweta Choudhary   (Naina)
67 Followers · 26 Following

Love writing and poetry,a freebird who is optimistic always
Joined 21 May 2021


Love writing and poetry,a freebird who is optimistic always
Joined 21 May 2021
23 MAR AT 1:17

Out of my window.....



One day,I saw out of my window,
then,left the habit of playing with gizmo.
The champions were playing in the street,
they weren't afraid of heat.
I went down the stairs of my room,
as it was sunny,so took my plume.
My cat also acted curious,
with it's paws, scratched my pillow and it was furious.
I had asked those champions to play with me,
their faces lit up with impish glee.
I got my batting and made a homerun,
in the end,we had a party with patty and bun.

A joint poetry composition by Shweta (Naina) ( Teacher ) & Vivaan ( one of my favourite students ) ❤️❤️❤️❤️❤️

-


7 FEB AT 9:48

Roses.....they speak

Roses,they too have a language.
Whether it's blissfulness or it works as a bandage.
It conveys many messages with different colours,
No matter it's Autumn,Winters, Spring,Rain or Summers.
Red denotes love,romance, beauty and perfection,
Blue symbolize mystery, aspiration and admiration.
Pink represents gratitude and grace,
White speaks loyalty,purity and innocence.
Orange says energy, desire and fascination,
Black is associated with hate, death and the supernatural.
Choose right colour , don't dishonour and whip ,
Share yellow roses for joy and friendship.

-


29 DEC 2023 AT 2:13

उदासी है और उम्मीद भी कम है,
तुम्हारा साथ होना, चाहे एक भरम है।
मुझे मुझसे मिलाने वाले भी तुम थे,
इसलिए अभी भी प्यार है तुमसे।

संजीदगी तुम्हारे लफ़्ज़ों में ही नहीं चेहरे पर भी थी,
तभी तो तुमसे संजीदा रिश्ते की चाहत की।
क्या पता था कि साथ मिलकर रहने को बीत जाएंगे अरसे!
देखो न फिर भी,‌अभी भी प्यार है तुमसे।






-


30 MAY 2023 AT 20:23

मेरी तरफ़ से, एक इशारा है,
बीते हुए कल ने, आज का क्या बिगाड़ा है?
ऐसा लगता है, वो कल तुम्हें आज से प्यारा है,
तभी तो तुमने अंदाज नहीं संवारा है।

आज भी नाराज़गी और मायूसी, साथ ले बैठे हो,
नहीं है होश इसीलिए तो पूछते नहीं, कि, कैसे हो?
चांदी की थाल के 56 भोग में भी स्वाद नहीं और इसे रईसी कहते हो?
सुकून की जगह भी अब समझते हो क्लब-डिस्क-बार और कैफे को!

रहने दो बेकार जताना, कि, परिवार की फ़िक्र हो आई है,
रिश्ते-भावना-अपनों को समय-देने से पहले तो कमाई है।
मेरी तरफ़ से,एक इशारा है, अपनों के सपनों की दुहाई है,
लौट आओ वक्त रहते, अब जान पर बन आई है।

-


23 MAY 2023 AT 19:49

दोगलापन

जब कभी तन्हाई सताती है,मन बेचैन हो जाता है।
फोन करो ना करो पर ऊपर से व्हाट्सएप की नोटिफिकेशंस पढ़कर ,भेजने वाले को रीड रिसिप्ट ना मिले ,यह हुनर मुझे नहीं आता है।
नहीं आती राजनीति वो भी घर की, क्या बताएं फ़िर, बाहर की दुनिया के सफर की?
जल्दी से दिल को,हर कोई नहीं भाता है,
पर जो भी भाता है ,वह दिल से कभी नहीं जाता है।
प्यार,नफ़रत या शिकायत, जो लोग दिल में बसे हैं, उन्हीं से ही है,
मैं तो बस अभिव्यक्त कर देती हूं,बाकी दृष्टिकोण दोनों का चाहे गलत हो या सही है।
पारदर्शी स्वयं हूं और केवल पारदर्शिता ही चाहिए,
न जीवन में बिन बुलाए आइए ना अनुमति लिए बिना जाइए।







-


3 APR 2023 AT 0:38

कुछ सवाल

पता नहीं मेरे अंदर क्या है?
सैलाब,सुनामी या ठहरा पानी।
जाने, पता नहीं दिल चाहता क्या है?
सख्ती, ख्याल, प्यार या मनमानी।
कैसे कहूं, क्यों रूठ जाती हूं?
तुम्हारी नासमझी ही मलाल है।
सोचती हूं ,अब चली जाती हूं,
कौन सा, मेरे साथ रहने का सवाल है !
बस, जाने पर आवाज ना देना,
खोई उम्मीद जाग जाती हैं।
सच है,कई बार किसी के जाने पर ही,
उसकी खासियत समझ आती है।
पता नहीं, टूटने के बाद भी,कितना टूटना और बाकी है?
शायद मेरे वजूद की कसौटी अब सज़ा ही है।







-


8 MAR 2023 AT 12:33

सूना त्योहार

(यह कविता समर्पित है उन सभी को जिनके परिजन त्योहारों पर साथ नहीं)

होली साथ नहीं, दिवाली साथ नहीं,
परिवार होते हुए भी, परिवार वाली बात नहीं।
सब दिन इंतजार में बीते, बहुत हुआ अकेले जीते,
तस्वीरों पर मुस्कुराते हैं, ना ठहाके - ना लतीफे।
मन साधु हो चुका है, परिधान नहीं है जरी के।
खाने की रंगत भी फीकी और साज- शृंगार है फीके।
कर बहाना - ना सताना, हमें कहीं भूल ना जाना,
इतना भी नहीं खोना है कि समझ ना आए किसे है पाना।
पैसे कमाना है ज़रूरी पर पैदा किए बिना दूरी,
किरदार ऐसा बनाइए कि रहे ना कोई कहानी अधूरी।

होली की शुभकामनाएं 🙏🏻

-


11 NOV 2022 AT 10:03

आखिरी रास्ता

आखरी रास्ता अंत नहीं है,
ये एक नई शुरुआत है।
उजले सवेरे से पहले की,
काली स्याह रात है।
लोभ - मोह - काम - क्रोध,
छोड़ जीवन के सारे शोध।
जो भी हो मोक्ष के अवरोध,
हटा दे सब, जब हो जाए बोध।
लौकिक ज्ञानी तो है तू,
पारलौकिक भी बन।
धारा के प्रवाह में,
डूबने का ना कर चयन।
भक्ति नौका में बैठकर,
पतवार को चलाना है।
और कोई साथ ना जाएगा,
जहां तुझे जाना है।
असीम अनुकंपा नाथ की,
उन पर तेरे विश्वास की।
पहला पग बस तू धर ले,
शेष यात्रा है उनके साथ की।

-


9 NOV 2022 AT 11:10

भटकता मुसाफ़िर

डूबता इंसान छटपटाहट से है, आसपास के पानी से नहीं,
तू परेशानी सुलझा,परेशानियों से लड़कर उन में डूब ना जाना कहीं!
रास्ते में दरारे - पत्थर हो तो, राही कहां राह छोड़ता है ?
बस मंजिल तक पहुंचने के लिए अपनी दिशा को हल्का मोड़ता है।
तू भी भटकता मुसाफ़िर ना बन, अपनी राह का खुद कर चयन,
कोई चाहे कितने करे जतन, तू रह अपनी धुन में मगन।
बार-बार घिसने से तो रस्सी भी पत्थर पर निशान छोड़ती है,
जो व्यक्ति लक्ष्य के लिए एकाग्र चित्त है उसके सामने तो दुनिया भी हाथ जोड़ती है।

-


6 NOV 2022 AT 11:52

तमन्ना को पाने की हद को फ़लक तक ले जाइए,
बस उसे पूरा करने की मन में ललक होनी चाहिए।
फ़ल्सफ़िय्यत है जिंदगी की,
कुछ पाना है तो ज़ोर भी दिखाइए ।

आपका डर आपका रक़ीब है,
आपका हुनर आपका नसीब है।
किस्मत को क्यों कोसना है ?
यह जंग खुद से है और यह फ़लसफ़ा मुस्तक़ीम है।

तो आएं, आज़ाद दिल से कुछ तमन्ना जगाएं
मक़सद-ए-ज़िंदगी को मुकम्मल बनाएं,
बेज़ार न हों खुद के ख्यालों से,
खुद रोशन रहें और मनारा-ए-रोशनी बन जाएं।









-


Fetching Shweta Choudhary Quotes