Shweta Choudhary   (Naina)
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Love writing and poetry,a freebird who is optimistic always
Joined 21 May 2021


Love writing and poetry,a freebird who is optimistic always
Joined 21 May 2021
5 AUG AT 7:56

Parenting in the Digital Age

Are kids actually liberal ?
Or Are they living in cage?
It's really confusing at times
& Challenge is - the Digital Age.
Knots been tied with Laptop & Mobile,
Creativity been overlapped by AI.
Projects are dead with the given deadline,
Noone can distinguish,it's cline or decline.
No matter what role you play,
A guardian ,a mentor or a friend.
Nuclear family, working couple
Or struggling as a single parent.
Parenting in the digital age,
Is quite exigent at every stage.
Parents should be present even in their absence,
Giving "Nomophobia" to your kids doesn't make any sense.
Some outdoor games & a balanced diet,
Less social media ,good care for sight.
Headphones levels ,below 60 decibels,
Bar it's use post 30 mins, even if they rebel.
No phone use during meal,
Instead,discuss the day or how you feel.
Be patient ,be understanding,
Eventually kids will speak and reveal.

Naina










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31 DEC 2024 AT 0:05

Happy Birthday Papa

जन्मदिन की सौगात है,
इस बार और ही बात है।
दूर होते हुए भी,
मेरी रूह आपके पास है।
पता नहीं, क्या माया है,
अभिशाप में भी आशीर्वाद पाया है।
जन्मदिन व नया साल मुबारक हो,
ऐसा कहने की नाराज़गी में भी इजाज़त दो।
Happy Birthday Papa 🎂

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21 DEC 2024 AT 23:18

वहम

हर शख़्स पर नक़ाब है,हर कोई कितना घाघ है!
पर्दा नशी को,बेपर्दा करने का कितना दबाव है!
फिर क्यों नहीं आते महफूज़ करने के लिए?
संभल नहीं पाते,बस मरदूद बन के हैं जिए।
हम क़दम क़दम पर, आह भर के रुक जाते हैं,
बिना किसी गुनाह के भी अक्सर झुक जाते हैं।
इसी बात को आदत समझकर, वो लुत्फ़ उठा रहे हैं,
खो रहे हैं सब ,और जीत का वहम पा रहे हैं।


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2 DEC 2024 AT 3:44

साथी से प्रेम तो पानी समान है

किशोरावस्था में जैसे बुलबुला है,
कभी रहता है,कभी खत्म हो जाता है।
युवावस्था में , कई संघर्षों के बाद भी,
यह कहां समझ आता है?
कभी आकर्षण, कभी झुकाव,
कभी सम्मान और कभी लगाव।
कभी समर्पण, कभी झिझक,
कभी फ़र्ज़ तो कभी हक़।
कभी शब्दों के अभाव में होंठ सिल जाते हैं,
कभी बिन कहे भी दिल मिल जाते हैं।
कभी समझाते उम्र गुज़र जाती है,
कभी चंद घड़ियां सब कुछ समझाती है।
यूं मानो,साथी से प्रेम तो पानी समान है,
जिसका अपना स्वाद नहीं।
ज़्यादा चीनी और ज़्यादा नमक अगर हो इसमें,
बुझाता कभी प्यास नहीं।
जैसे पानी जीवन की पहचान है ,
वैसे प्रेम यानी परम का सर्वोच्च स्थान है।
तृप्ति संभव नहीं, प्राप्ति पराकाष्ठा है,
प्रेम को पाना, प्रेम में आस्था है।

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25 NOV 2024 AT 22:57

बुढ़ापे के दो मुख्य काम, योग व्यायाम एवं आराम ।

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25 NOV 2024 AT 21:10

रोकना मत उसे, जो जा रहा है,
क्योंकि वो जाते हुए मुस्कुरा रहा है।
उस मुस्कुराहट को, भेंट दे दो उसे,
प्रेम तो वह है, जो दर्द में भी हंसे।
विदा देने से पहले ,कुछ अच्छी याद तुम बटोरो,
कुछ अच्छी यादें उसके हिस्से में भी छोड़ो।
ताकि आने वाले कल में भी वह पिछले कल में मुस्कुराए,
तुम्हारे पास न होने पर भी,वो तुम्हें अपने पास पाए।

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25 NOV 2024 AT 21:02

अपेक्षा

मानव का मूलभूत स्वभाव है अपेक्षा,
संभावना ना होकर भी मनमानी बात की प्रतीक्षा।
प्रतिपल इस चाह मैं वो खो रहा है,
अपनी गुंजाइशों को बो रहा है।
वास्तविकता व स्वप्न के द्वंद्व का आभास हुआ,
जब एकाएक उसकी अपेक्षाओं पर आघात हुआ।
जो बटोरे थे सपने वो बिखर कर गए हैं टूट,
जिन से रिश्तों में पड़ी है कई बार फ़ूट।
तो चलो,सापेक्ष भूमिका को छोड़ देते हैं,
निरपेक्ष बन हवा का मुख मोड़ देते हैं।


द्वारा : नैना - केया

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28 AUG 2024 AT 19:53

Hope

I hope one day should come when I won't feel alone,
The moment should be such when I will say I am at home.
Even after finishing all chores I won't feel demurred,
I would feel baggage free and would act as freebird.
Someone should be there to be addressed as soul mate.
I'm just going with the flow of time not against the fate.
I am not a reckless being who say no to reluctance,
I am the one who meticulously accept the resistance.
I hope a day should be there which will be fair,
Coz my responsibilities haven't given me right for despair.



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26 AUG 2024 AT 18:56

श्री कृष्ण से सीखा है मैंने परस्पर व्यवहार सम्मान का,
सखाओ के संग भोजन करना बिना जाति भेदभाव का।
माखन भी चुराया है, गैया भी चराई है ,गोपियों संग रास भी रचाया है।
मुझे तो सर्वेसर्वा का प्रत्येक रूप भाया है।

श्री कृष्ण से सीखा है मैंने संयम एवं संयम की सीमा,
बुआ श्रुतश्रवा से वचनबद्ध होकर अपमान को पीना।
शिशुपाल के सौ पाप माफ़ कर, 101 पर दंड देना,
स्वयं पांडवों को चुन,पार्थ सारथी बने व कौरवों को सौंपी सेना।

श्री कृष्ण से सीखा है मैंने संतुलन बनाना अपने संबंधों में,
समस्त गीता सार को गुना है अपने जीवन के छंदों में।
रणछोड़ भी कहलाए तो उसमें लीला थी उद्धार की,
कालयवन - दहन और राजा मुचुकुंद की निद्रा साकार की।

श्री कृष्ण से सीखा है मैंने मित्रता को कैसे निभाना है?
मित्र अगर सुदामा भी हो तो दौड़कर उस तक कैसे जाना है?
कैसे मित्र की करूण पुकार मित्र ही सुन पाता है?
बिन शब्दों व भाव के कैसे मित्रता में सब स्वयं समझ आता है?

राधाकृष्ण से सीखा है मैने प्रेम की पवित्रता एवं पराकाष्ठा,
16108 पत्नियों के साथ भी ‌श्री कृष्ण की वैवाहिक मर्यादा एवं आस्था।
मानव स्वरूप धरकर भी सर्वगुण संपन्न रहना।
समय के अनुसार चलना एवं समय के संग बहना।

राधे राधे 🙏🏻

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19 AUG 2024 AT 1:43

रात के नसीब में ,बहुत से ख़ज़ाने हैं,
ना सोने के,बहुत से बहाने हैं।
किसी को गपशप करनी है,
किसी को सुनने गाने हैं।
पर कभी-कभी रात के नसीब में आंसू भी आते हैं,
बिना कुछ कहे भी बस, बहते जाते हैं।
कभी उन्हें याद करके जिन्हें हम चाहते हैं,
या कभी उनसे दूर होकर जो हमें चाहते हैं।
कहीं चौकन्नी रातें ,कहीं सपनों में गुमनामी ,
कहीं दर्द से राहत , कहीं दर्द और परेशानी।
रात में गहरे राज़ है, रात की अजीब है कहानी,
रात के नसीब में फ़िर भी एक सुबह रोज़ है आनी।



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