खिड़कियाँ दिल के कमरे की रक्खो खुली
आते जाते दिखेगा तुम्हें वो तभी-
Likhna mere liye junun hai
Jo lata mujh me sukun hai....
दुनिया की नज़रों से डरना छोड़ दिया
छुप के अकेले आहें भरना छोड़ दिया 1
अपनी शर्तों पे हम जीना सीख गए
घुट घुट के अब हमने मरना छोड़ दिया 2
दिल में जो आता है वो हम करते हैं
सबसे पूछ के कुछ भी करना छोड़ दिया 3
दफ़्न ही होना होगा इसको है मालूम
ख़्वाहिश ने भी दिल में उतरना छोड़ दिया 4
इतनी नफ़रत "रिया" कोई कर सकता है
ग़ज़लों में सूरत ने उभरना छोड़ दिया 5-
देता है साथ कौन परेशान देखकर
सब दूर भागने लगे नुक़सान देखकर १
फ़ुर्सत मिली वो आया मुलाक़ात के लिए
अहबाब सारे हो गए हैरान देखकर २
तैयार हैं जवान उबलने लगा लहू
दुश्मन न टिक सकेगा ये ऊफ़ान देखकर ३
कश्ती के डूबने का लगा डर उन्हें तो वो
अब लौटने लगे हैं ये तूफ़ान देखकर ४
सबकुछ यहीं पे छोड़कर जाना है एक दिन
रुकती नहीं ये मौत तो सामान देखकर ५
इंसानियत भी शोक मनाने लगी “रिया”
इक दूसरे को मारता इंसान देखकर ६-
तमाम लोग मिले हमको दोस्त ही न मिला
हमारे वास्ते दुनिया में एक भी न मिला १
ख़लिश रहेगी हमेशा यही मेरे दिल में
मेरा रहा तू मगर क्यों मुझे कभी न मिला 2
नया है शहर मगर ख़ूब प्यार इसने दिया
है अपनापन सभी में कोई अजनबी न मिला ३
भटक रही हूँ कि पाए क़रार ज़ीस्त मेरी
तलाशती रही जिसको मुझे वही न मिला ४
महब्बतों से यहाँ दिल मिले हैं लोगों के
लहू में घोल के नफ़रत की चाशनी न मिला ५
तेरे ही प्यार से रौशन हुआ जहाँ मेरा
मुझे तू छोड़ के इसमें यूँ तीरगी न मिला ६
तू पाक साफ़ ही रहने दे अपने रिश्ते को
कि दोस्ती में हमारी ये आशिक़ी न मिला" 7
गिरह
“तमाम शहर में रोबोट ही नज़र आए
“बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला “-
जो मतलब से मिले अपना कभी वो हो नहीं सकता
हमारे दर्द का एहसास उसको हो नहीं सकता-
कितनी मसरूफ़ियत हुई तुमको
इक झलक देखते नहीं हमको
कब से कॉफ़ी गिटार रक्खा है
वक़्त थोड़ा निकाल लो अब तो-