Riya Yadav   (Riya yadav)
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Birthday 5feb
Likhna mere liye junun hai
Jo lata mujh me sukun hai....
Joined 21 August 2017


Birthday 5feb
Likhna mere liye junun hai
Jo lata mujh me sukun hai....
Joined 21 August 2017
10 HOURS AGO

खिड़कियाँ दिल के कमरे की रक्खो खुली
आते जाते दिखेगा तुम्हें वो तभी

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10 HOURS AGO


रास्ता देखते रह गए हम तेरा
जा रही हैं बहारें है पतझड़ खड़ा

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10 HOURS AGO

दुनिया की नज़रों से डरना छोड़ दिया
छुप के अकेले आहें भरना छोड़ दिया 1

अपनी शर्तों पे हम जीना सीख गए
घुट घुट के अब हमने मरना छोड़ दिया 2

दिल में जो आता है वो हम करते हैं
सबसे पूछ के कुछ भी करना छोड़ दिया 3

दफ़्न ही होना होगा इसको है मालूम
ख़्वाहिश ने भी दिल में उतरना छोड़ दिया 4

इतनी नफ़रत "रिया" कोई कर सकता है
ग़ज़लों में सूरत ने उभरना छोड़ दिया 5

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30 APR AT 16:22

देता है साथ कौन परेशान देखकर
सब दूर भागने लगे नुक़सान देखकर १

फ़ुर्सत मिली वो आया मुलाक़ात के लिए
अहबाब सारे हो गए हैरान देखकर २

तैयार हैं जवान उबलने लगा लहू
दुश्मन न टिक सकेगा ये ऊफ़ान देखकर ३

कश्ती के डूबने का लगा डर उन्हें तो वो
अब लौटने लगे हैं ये तूफ़ान देखकर ४

सबकुछ यहीं पे छोड़कर जाना है एक दिन
रुकती नहीं ये मौत तो सामान देखकर ५

इंसानियत भी शोक मनाने लगी “रिया”
इक दूसरे को मारता इंसान देखकर ६

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29 APR AT 16:16


करते नहीं हैं फर्क वो सच और झूठ में
आता नहीं है उनको तराज़ू में तौलना

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29 APR AT 11:50

तमाम लोग मिले हमको दोस्त ही न मिला
हमारे वास्ते दुनिया में एक भी न मिला १

ख़लिश रहेगी हमेशा यही मेरे दिल में
मेरा रहा तू मगर क्यों मुझे कभी न मिला 2

नया है शहर मगर ख़ूब प्यार इसने दिया
है अपनापन सभी में कोई अजनबी न मिला ३

भटक रही हूँ कि पाए क़रार ज़ीस्त मेरी
तलाशती रही जिसको मुझे वही न मिला ४

महब्बतों से यहाँ दिल मिले हैं लोगों के 
लहू में घोल के नफ़रत की चाशनी न मिला ५

तेरे ही प्यार से रौशन हुआ जहाँ मेरा
मुझे तू छोड़ के इसमें यूँ तीरगी न मिला ६

तू पाक साफ़ ही रहने दे अपने रिश्ते को
कि दोस्ती में हमारी ये आशिक़ी न मिला" 7

गिरह

“तमाम शहर में रोबोट ही नज़र आए
“बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला “

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26 APR AT 11:39


जो मतलब से मिले अपना कभी वो हो नहीं सकता
हमारे दर्द का एहसास उसको हो नहीं सकता

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25 APR AT 16:36


नाम मेरा तू जब भी लेता है
दिल को मेरे सुकून देता है

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25 APR AT 16:34


कितनी मसरूफ़ियत हुई तुमको
इक झलक देखते नहीं हमको
कब से कॉफ़ी गिटार रक्खा है
वक़्त थोड़ा निकाल लो अब तो

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25 APR AT 16:28


रात फूलों की बात करते हुए
अपनी ख़ुशबू से भर दिया उसने

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