QUOTES ON #तुच्छ_सोच

#तुच्छ_सोच quotes

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4 AUG 2020 AT 14:32

जिसकी औकात तुच्छ और सोच नीची हों वो चाहे छोटे घर से निकल कर बड़े घर में क्यों ना रहे ,उसकी औकात और नीची सोच कभी बदल नही सकती वो हमेशा वैसे ही रहती हैं ।

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नही समझ पा रहा हूँ नारी को
उसके रिश्ते और उस रिश्ते के स्वरूप को
उसके विश्वास और लगन को
उसके अपनेपन और अपनेपन के प्यार को
क्या कोई पल जीया है उसने
अपने परिवार से अलग अपने लिए
खुद के लिए
बहुत करीब से देखा तो पाया
बहुत छोटा खुद को
ना जाने क्या था खुद में
गरूर या घमंड
पता नही
पर अहसास हुआ जो भी था मैं
बहुत तुच्छ था
अपनी नजर में

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19 OCT 2019 AT 14:18

पुरूषों को इससे तौलो मत,
श्रृंगार स्त्री का रहने दो।
पति से इसको जोड़ो मत,
इसको हाथों में सजने दो।
इसको अर्थों में बांधों मत,
चूड़ी को चूड़ी रहने दो।।
(पूरी रचना अनुशीर्षक में)

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7 APR 2018 AT 12:47

मर्द.........,,, # #

कोई भी औरत तेरी ज़ागीर नही है !
कोई चलती फिरती राहगीर नही है !

जिसे तु अपने पैर की जूती समझता है!
उसी ने तुझे बनाया है !
उसी ने तुझे संभाला है !
उसी ने तुझे संवारा है !
अपने त्याग और अपने दुध को
लहु बनाकर तेरे सीने मे उतारा है !

For dominate n cheap males.

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10 JUN 2018 AT 18:34

मुस्करा कर दिया कन्यादान
दिल का टुकड़ा दिया सहेज।
छोटी सोच वाले, बन्द करो बेचना लड़को को
बन्द करो लेना "दहेज।।

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14 MAR 2020 AT 21:41

तुम सभी को खुद सा क्यों समझते हो "कमर"
तुच्छ, घटिया लोगों को क्यों साथ बैठा लेते हो तुम
तू तो अनमोल रत्न है पाकर तुझे वो औकात भूल जाते हैं
वो बेगाने लोग हैं कुछ दिनों में ही अपना रंग दिखा देते हैं
बिन बात का वो खुद पर गुमान किया करते हैं
सोच अब तू भला वो तेरे दोस्ती के काबिल कैसे।।

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22 JAN 2023 AT 15:37

किसी की मनःस्थिति को समझने के लिए अपने मानसिक स्तर को ऊंचा उठाना पड़ता है।
तुच्छ सोच के लोग श्रेष्ठता और उत्तम कार्यों को समझने में अक्षम होते हैं।
ऐसे लोग न अपना मूल्यांकन कर सकते हैं और न दूसरों का कर सकते हैं ये सिर्फ विवाद पैदा करने में अपने जीवन का हरपल गंवाते रहते हैं।

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5 NOV 2020 AT 21:35

दुनिया में हर एक चीज उठाई जा सकती है
शिवाय
गिरी हुई सोंच के

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22 JUN 2018 AT 19:27

हमने उन्हें खूब मौका दिया नफऱत के बीज फैलाने का,
उन्होंने दांव भी न गवायां भाई से भाई को लड़वाने का।
धर्म की आड़ में वो अपनी रोटी पकाते हैं,
हम नासमझों के मुख से निवाला लेकर जाते हैं।

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17 JUN 2023 AT 17:33

जब होती बुद्धि भ्रस्ट, तब नर बन जाता दुष्ट,
भाव बदलता पल-पल में, और लगता देने कष्ट।
नहीं समझता अपनों को भी, गैरों की क्या बात करें,
मैं ही मैं रहता अपनी, सद्गुण से रहता परे।
बातें करके चिकनी चुपड़ी, खंज़र मारे पीठ पर,
चलता चालें धूर्त भरी, रहता बनकर ढीठ भर।  
मैं ही जीतूं हर एक बाज़ी, भले करुँ मैं कुछ भी उल्टा,
चोट लगे भले ही सब को, तनिक फ़र्क नहीं मुझको पड़ता।

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