शांति परम द्वार है।
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निरंतर अध्ययन अध्यापन के लिए आवश्यक... read more
शारदीय नवरात्र में मैं,
मां दुर्गे को मनाऊं।
श्रद्धा सुमन मां को अर्पण,
और भजन भाव से गाउं।-
हरी-भरी हरियाली,
खुशियों की सौगात लाते।
प्रकृति की खूबसूरती से,
हमें मिलाने आते।-
पेड़- पौधे
जीवनदायिनी है।
हमें औषधीय पौधे
जरूर लगाने चाहिए जो
हमारे सेहत के लिए
आवश्यक है।-
मां की अलौकिक शक्ति से,
सारा जग रौशन होता है।
आदिशक्ति अम्बे का जग में,
महिमा मंडन होता है।
भक्त अपनी झोली फैलाए,
मां के चरणों में जाता है।
करुणामयि के दरबार से भक्त,
झोली भर के आता है।-
मां अम्बे की आरती,करूं मैं सुबहो शाम।
मेरा घर-आंगन लागे,जैसे माता का धाम।-
हे मां दुर्गे भवानी, करुणामयि हे कल्याणी।
दया करो हे माता, क्यूं बहे नयनों से पानी।
तेरे चरणों की धूल है,मेरे माथे का चंदन।
कृपा करो हे अम्बे,कर जोड़ करूं तेरा वंदन।-
बाहर से
थोपी गई व्यवस्था
हमेशा
अव्यवस्था ही
पैदा करती है।
जे कृष्णमूर्ति 🙏-
आपको
स्वयं अपना
"गुरू"
होना है और अपना
" शिष्य"
भी।
जे कृष्णमूर्ति के विचार 🙏-