Close your eyes, take deep breath and now ready to hustle because the world is yours.
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Go ahead don't listen anyone's......
Wo... read more
कि हर सफर का अंजाम एक ही होता,
मंजिल पर मुसाफिर तनहा ही होता...-
तुम जेठ की कड़क दुपहरिया हो,
मैं पूस की ठिठुरन रात प्रिये...-
वो तो बस इक मोहरा था जनाब,
चाल तो किसी और ने चला;
अमन-चैन, भाईचारे की हवा में,
जहर तो अपनों ने ही घोला...-
पता है तुम्हें...
तेरे चेहरे की मासूमियत को भी समझने लगा हूँ मैं,
तुम्हें तुम से ज्यादा चाहने लगा हूँ मैं।-
उसकी हर जरूरतों को पूरा करते-करते,
कहीं कमी रह गयी परवरिश में।
बुढ़ापे का सहारा बनने को मगर,
बेसहारा हमकों छोड़ दिया।-
बचपन में खेलें नही,
जवानी को इधर-उधर गवाँई।
बुढ़ापे में अब क्यों पछता रहे,
जब राम नाम लेने की बारी है आई।।-
गर गुलाब को अहसास होता अपनी कोमलता का
तो क्या काँटों संग वो कभी रह सकते थे?
गर कमल को अहसास होता अपनी खुशबू का
तो क्या वो कीचड़ संग कभी रह सकते थे?
गर चाँद को अहसास होता अपनी खूबसूरती का
तो क्या वो तारों संग कभी रह सकता था?
गर हीरे को अहसास होता अपनी कीमत का
तो क्या वो कभी कोयले संग रह सकता था?-
इश्क के खेल को
हम भी खेलना सीख गये।
कभी बेखबर रहना
तो कभी बेवजह हँसना सीख गये।।-