संगीत मे
गजब का जादू
देखा है मैंने
खामोश इंसान को भी
गुनगुनाते
देखा है मैंने
यूँही-
जानते हो ना
तुम मुझको
मैं आज भी कोशिश
करता हूँ
शब्दो को समेटने की
जब जब कहना
चाहता हूँ कुछ
और कह नही पाता हूँ
यूँही-
आज से ६० वर्ष पूर्व
जब जन्म लिया मैंने
याद नही क्या करा था
पर इतना जरूर पता है
पहला शब्द
जो बोला था मैंने
वो था
"माँ"-
किसी को भी
गलत समझने से पहले
उसकी गलती क्या है
ये समझो
शायद कुछ रिश्ते
सुधर जाये
यूँही-
मेरे नजर में
बहुत सरल है
रिश्तों का व्याकरण
कुछ मैं मान लूँ
कुछ तुम मान लो
यूँही-
कभी अवसर मिले
गले मिलने का
तुमको उस इंसान से
जो नाराज
बहुत है तुमसे
तो मिलना जरूर
देखना मिलते ही गले
हर अनकहे सवाल का
जवाब मिल जायेगा तुमको
बिन कुछ कहे सुने
यूँही-
याद आते है मुझे
वो लम्हे
जब देखता हूँ
पीछे मुड़कर मै
और भूल जाता हूँ खुद को
जब जब निहारता हूँ
बिन पलके झुकाए
तुजको मै मेरे बचपन
यूँही-
संभव नही बारिश हो
मिट्टी से खुशबू ना आये
मैंने भी प्यार करा है तुझसे
मेरे बचपन
कैसे कहूँ तू याद नही-
मैं मेरे शब्दों मे
जब तक हूँ
उतना ही हूँ जितना मे हूँ
मत ढूँढ़ना मुझको
मेरे ही शब्दों में
मेरे लिखे जाने के बाद
अपने शब्दों मे
यूँही-
कभी ढूँढा नही मैंने
किसी को किसी दूसरे मे
कोशिश की है सदा
ढूँढने की
खुद को खुद मे
यूँही-