ज़माने भर के नाकारा मिले हैं आज बस्ती में
यूँ लगता कोई जलसा सियासी होने वाला है-
कभी अकेली भीे,ठहर एै जिंदगी,
वहाँ भी तुझे,यादों की जलसा मिलेगी।-
तारों ने मुलाकात के लिए जलसा सजाया था
चांद आसमान में दख़लअंदाजी करने आ गया
चांद को बिना साये के सिर पसंद नहीं थे कभी।
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मज़दूरों ने बतलाया
बिलबिलाती भूख से,
फफकती साँसें बेहतर हैं।
किसानों ने दिखाया
आपदाएं वो भूख हैं
जो मिटाई ना जा सकी हों।
व्वस्था ने दर्शाया
मौत छुटकारा हैं
सामाजिक अव्यवस्था से।
चिताएं दिखा रहीं हैं
वो जो जल रहा है
जल ही रहा था!-
पाऊस पडून गेल्यावर
रानात काल जलसा होता,
रातकिड्याच्या गाण्या संगे
काजव्यांचा नाच होता !-
बेटी
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बेटी हूँ मैं कोई सामान नहीं,मेरा दान क्यूँ करते हो,
कन्यादान किया इक़ बार क्या उसी शापित कवच में ,
ताउम्र के लिए जकड़ते हो?अपने पिता की गर्वित मान मैं,
मेरा मर्दित मान तुम तो कभी नहीं कर पाओगे,
हे मनु वंश के प्रणेता,दान नहीं,सामान नहीं वरदान समझ ,
बेटी की गरिमा को उचित सम्मान दे जाओ तुम।
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सस्ते हैं वो वक़्त से भी, हमें हर रोज़ आज़मा रहे हैं,
ऐ खुशियॉं तू बाद में आना, वो अभी हमें छोड़ जलसा करा रहे हैं।-
विला हो, गैलेक्सी हो, जलसा हो या हो मन्नत।
शान्ति, प्यार व रिश्तों से ही घर बनता है जन्नत।।-
बड़ा गुरुर है उसे, अपने जलसे पर
अरे बस कुछ लाशों के हाथों में परचम है
रहनुमाओं की अदा पर बहक रही है दुनिया
खुद को खुदा कहना,बस उसके मन का वहम है-