खुद को हम इतने बुरे लगे,
कि अरसा हो गया तस्वीर लिये।-
मेरे भटकते कलम ने कभी तो कुछ सही लिखा होगा,
नहीं तो ... read more
चाँद की चमक फीकी पड़ जाती है,
जब वो लगाकर फूल बालों में मेरे साथ बैठ जाती है।-
मैं था नासमझ
वो तो समझदार थी
जुड़ने से पहले दिल को
वो तोड़ने को तैयार थी
गलत साबित हर जगह किया मुझे
सच समझने को तैयार नहीं
समझना मुश्किल है कि इश्क नहीं मुझसे
वो नफरत भी करती है और प्यार भी-
मुझे पसंद करने वाले
मेरी कमियां पहले जान लेते तो अच्छा होता
न हम अच्छे लगते
न दिल मिल कर बिखरा होता
समझने में नासमझ हूंँ मैं
ये काश उन्हें पता होता तो दोनों का भला होता
न करते पहल वो
और कदम मेरा भी अगर ठहरा होता
तो वो भी खुश रहते
और मैं भी जिन्दगी में रमा होता
मुझे पसंद करने वाले
मेरी कमियां पहले जान लेते तो अच्छा होता-
करके भरोसा मेरे कंधे पर रख देना तुम सारे गम,
वादा है फिर कभी न होने दूंगा तेरी आंखें नम।-
नुकसान का सौदा है
तेरा इश्क ठुकराना मेरा
अरसा बीत जाएगा
पर मेरी कोई जगह न ले पाएगा-
क्या-क्या भूलें,
क्या-क्या याद रखें,
हमने तुझे पाने से पहले खोया है,
अब क्या रब से खाक मांगे।-
उड़ने की ख्वाहिश में
जूते बेच दिए मैंने
अब कदम लड़खड़ा रहे हैं तो
पत्थरों को क्या दोष देना...
(पूरा कैप्शन में पढ़ें)-
जीत कर लौटा जहान जब तक
दिल सबकुछ हार चुका था
प्यार के स्याही से भींगे थे जो पन्ने
वक्त उसे कबका फाड़ चुका था
हालात बदले जरूर थे
बस बेहतर की कमीज में बदतर खड़ा था
हम खुशियां खरीदने गये थे
लौटे तो घर में असीम दुःख पालथी मार कर बैठा था
लाये थे झुमके जिसके लिए
बातें उसकी कर्णपटल भी न सुन सका था
वक्त था बेरहम या
मुझे वक्त से लौटने की सजा मिला था
जीत कर लौटा जहान जब तक
दिल सबकुछ हार चुका था-