ज़ब इश्क़ किसी से होता है तो दुनियाँ बेमानी लगाती है,
फूलों से भी खूबसूरत तुमसे मिलकर ये जिंदगानी लगाती है।
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अधूरी कहानियाँ,
इतिहास बन जाती हैं ,
देवदास मजनू की कहानियाँ ,
हर युग में दुहराई जाती है,
याकूत की खामोश चाहत हो ,
या हो हीर की पीर,
अधूरी चाहत ही ,
दस्ताने इश्क़ लिख जाती हैं।-
तुम्हारा गाड़ी में दूर तहाथों में हाथ पकड़कर घुमाना कभी न भूल पाऊँगी ,
ओ मेरे पंडित सिर्फ़ इस इक पल के लिए सब छोड़ तुम्हारे पास चली आऊँगी ।-
नफ़स नफ़स में धड़कती रही साँसे तुममें अलबत्ता ,
शरीकेहयात माना था तुमने मुतमय्यर क्यूँ हुए क्या पता ।-
सिरहाना हो जब
तुम्हारी बाँहों का ,
ज़िन्दगी
मूतमइन जो जाती है ,
अज़ीम सुकून का ,
नाम हो तुम प्रिये,
जब ज़िन्दगी
तुम्हारे आग़ोश में आती है ,
तुमसे रूबरू हुए ,
जमाना हुए ,
मगर आज भी ,
सिर्फ़ तुम्हारी ,
एक दस्तक से ,
ज़िन्दगी ,
मुकम्मल हो जाती है।-
मेरी खामोश मुहब्बत के आफताब तुम ,
महताब हूँ मैं सिर्फ़ तुम्हारी समझे जनाब तुम ।-
बिखर जाऊँ तुममें ,
ऐसी मेरी तक़दीर कहाँ,
ओ मेरे रूहानी शहजादे ,
समेट ले मुझे ख़ुद में,
बिखरने की मेरी तक़दीर बना ।-
मेरी निशानी,
सिर्फ तुम हो गौतम ,
तुम्हें देखकर ,
मेरा इश्क़ याद आ जाएगा ,
भले ग़ुम हो जाओ तुम ,
किसी और दुनिया में ,
वक्त मल्लाह बनकर तुम्हें
मेरे पास पहुँचा जाएगा।-
बंद लिफ़ाफ़े में तुम्हें जो
ख़त भेजा था ,
आज भी तुम्हारा ,
पता मुझसे पूछता है।-
किताबे इश्क़ में तुम्हें ढूँढती रही
तुम तो मेरे रूहों में समाये हो।-