कुछ बीतें पल
कुछ बहकी यादें
मोबाइल की खामोशी में
लरज गई ,
मोबाइल को देखते ही ,
तुमसे की बाते जीवंत हुई।-
सोहनी महिवाल सी मुहब्बत हमारी मटके में इश्क़ हमने भरा
जाने कौन सा जादू तुमने किया मैं सदियों तक तेरे साथ बँधा ।-
ओ रूठे दिल ,
नहीं कहूँगी तुम्हें ,
क्यूंकि मुझे याद नहीं गौतम ,
तुम कभी मुझसे रूठे भी हो ,
तुम्हारा मौन ,
रूठना कदापि नहीं ,
क्यूंकि तुमने मुझे ,
दिलो जान से चाहा है,
वक्त देगा गवाही खामोशी से
मेरा इश्क़ उतना भी आसाँ नहीं ,
क्यूँकि टूटकर मैंने तुम्हें चाहा है ।
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मोबाइल से शुरू हुई थी मुहब्बत ,
उसी में सिमटकर रह गयी,
ओ मेरे रूहानी शहजादे ,
आज भी मैं तुम्हें ,
मोबाइल में ही ढूँढती रह गई ।-
इश्किया जीवन का सुख कुछ यूँ भी होता है
अंतरंग लम्हों में तुम्हें जी भरके जी लेता है ।-
खोने का डर
अब नहीं रहा गौतम
क्योंकि अब तुम ,
मेरी रूह में समाये हो
दम तोड़ती जिंदगी के तुम ,
अमिट से हमसाये हो,
तुम्हारे बिना मेरा वजूद ही नहीं ,
ये अब तलक तुम ,
क्यूँ नहीं समझ पाये हो ।-
ये ख्वाहिश है दिल की ,
के तुमसे कभी न मिलूँ मैं ,
तुमसे इश्क़ करने की ,
इक ऐसी सजा ख़ुद को दूँ मैं
तड़पूँ हर पल तुम्हारे लिए ,
वक्त के शिलालेख पे ,
दर्दे स्याही से ,
अपनी मुहब्बत की दास्तान ,
खामोशी से लिखूँ मैं ।
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जर्द सर्द साँसे
तार तार है अंतर्मन ,
तुमसे दिल क्या लगाया
रक्त रंजित हो गया ,
मेरा भावुक मन ।
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वो माह-रुख़ मुझे हर रात जगाता है
मैं सिर्फ़ तुम्हारा हूँ चुपके से मेरी खिड़की में उतर आता है।-
हाथों में तुम्हारे प्रेम की हथकड़ियाँ यही हमारे मुहब्बत की रवानी है
लिखी जाएगी जो वक्त के शिलालेख पे वही हमारे इश्क़ की कहानी है।-