Pankaj Garg   (पंख (flight of dreams))
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Joined 10 December 2016


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14 AUG AT 21:42

उसके हुस्न को देख के छाया मुझे ऐसा सुरूर
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आगे की लाइन जैसे ही बनेगी मैं लिखूंगा जरूर

😂😂

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11 JUL AT 11:31

जो चला गया, उसके लौटने की कभी आस मत करना
अँधेर भारी रातों में सूरज की कभी तलाश मत करना
सबके अलग अलग नकाब होते हैं झूठ छुपाने के
रोती हुई औरत और मुस्कुराते हुए आदमी पर कभी विश्वास मत करना

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4 JUL AT 18:17

मंजिल को रास्तों का साथ मिलता रहा
बारिश आती रही और सफर चलता रहा

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23 JUN AT 12:47

छुपाने लगी हैं बातें, नज़र मिलाकर बात नहीं करती
किनारे पर रहती हैं, अब साथ दरिया में नहीं चलती
कैसे कह दूँ यार कि तुम्हें प्यार है सिर्फ मुझसे
बात मान जाती हो, मगर अब झगड़ा नहीं करती

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21 JUN AT 12:00

सूरज ने आँखें मूँद ली, रात हो चुकी है
चांदनी सर पे बिखरी है, रात हो चुकी है

सज संवर निकला था सुबह जिम्मेदारियां निभाने
इज़्ज़त गँवाकर लौट आया क्यूंकि, रात हो चुकी है

जान, जुबाँ से तो दिन भर लड़ाईयाँ करते रहेंगे
चलो अब जिस्मों को लड़वाते हैं, रात हो चुकी है

दिन भर बहुत सताया है तेरी यादों ने मुझे
यार अब तो सोने दे क्यूंकि रात हो चुकी है

मरता रहा सारा दिन वो बच्चे के खिलोने के लिए
कल लाऊंगा बेटा अभी सो जाओ, रात हो चुकी है

सवेरा फिर से एक नयी उम्मीद लेकर आएगा
चलो इसी उम्मीद में सो जाते हैं, रात हो चुकी है

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20 JUN AT 21:32

अच्छा है, Mesaages का जमाना है,
Block ही तो करती हो
वरना तुम तो मेरे भेजे हुए कबूतर मार देती

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20 JUN AT 20:17

आफत पतियों पर आयी है, प्रेमी अभी सुरक्षित है

इसलिए प्रेम करते रहिये

😉😉

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19 JUN AT 14:42

तुम पसंद आये थे, ये इत्तेफ़ाक था
तुम पसंद रह गए, ये "इश्क़" है

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17 JUN AT 19:42

अभी अभी करवट लेकर मौसम ने बारिश चुनी है
मैंने अपने आँगन में बरखा बूंदों की साज सुनी है

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15 JUN AT 21:14

कभी झड़ती थी मिश्री जुबाँ से, अब जहर हो गए
झील के मीठे पानी से नमकीन समुन्दर हो गए
हाँ एक फूलों कि दुकान थी तो मेरे हुजरे में भी
अब फूल सबको बाँट के खुद पत्थर हो गए

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