अगर तुम लौट आओ.. मेरे बचपन
तो शायद
खेल मैदानों में हों,
दिल-ओ-दिमाग में नहीं।-
Known to everyone yet unknown to everyone.
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पाबंद करके सोच को कुछ कायदों और दायरों में
नाम को, बुद्धिमानी का झूठा परचम कर जाते हैं।
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जिहाद के नाम पर दुनिया भर में लड़ने मारने वाले
बहत्तर हूरों के लिए खुद ही को खत्म कर जाते हैं।
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अपनी रूह को, जिस्म का कफ़न कर जाते हैं
कुछ लोग, कलम का सिर कलम कर जाते हैं।
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"किरदार जीया करते हैं
किरदार मरा करते हैं
किरदार ज़िंदगी के क़िस्सों में
किरायेदार हुआ करते हैं"
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घर की मुंडेर पर बंधा
टूटी मटकी से बना मैं 'नजरबट्टू'
अब बूढ़ा हो चला हूं
लोगों के पत्थर और नज़र सहते सहते
मानों इक उम्र बीत गयी हो।
(Read in Caption)-
जब चाहो मेरा मन बहलावे
ज्ञान की मुझको बात बतावे
करत नाही मोसे कोई हिसाब
ए सखी साजन ? नहीं किताब
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जो तुम जॉन की बात करते हो, जानी की बात करते हो
लगता है किसी मुक़द्दस गुलफाम कहानी की बात करते हो,
समुन्दरों की औकात नहीं हुई कभी जिसे नापने की
उजले बादलों से झरते मूसलाधार पानी की बात करते हो।-
दुआ है कि, कभी मेरे अल्फ़ाज़ों की कब्र पर रंगीनियां छा जाएं
शायद किसी की आबरू दागदार होने से बच जाएगी।-