Manish Bansal   (© मिस्टर X)
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Joined 21 October 2016


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23 APR 2019 AT 17:08

अगर तुम लौट आओ.. मेरे बचपन
तो शायद
खेल मैदानों में हों,

दिल-ओ-दिमाग में नहीं।

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15 APR 2019 AT 10:14

पाबंद करके सोच को कुछ कायदों और दायरों में
नाम को, बुद्धिमानी का झूठा परचम कर जाते हैं।

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15 APR 2019 AT 10:11

जिहाद के नाम पर दुनिया भर में लड़ने मारने वाले
बहत्तर हूरों के लिए खुद ही को खत्म कर जाते हैं।

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10 APR 2019 AT 9:55

अपनी रूह को, जिस्म का कफ़न कर जाते हैं
कुछ लोग, कलम का सिर कलम कर जाते हैं।

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1 MAR 2019 AT 20:07

जाने फितरत है या दस्तूर है।
उड़ना भी है, पंख भी कतरनें हैं।

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20 AUG 2018 AT 18:35


"किरदार जीया करते हैं
किरदार मरा करते हैं

किरदार ज़िंदगी के क़िस्सों में
किरायेदार हुआ करते हैं"
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17 JAN 2018 AT 13:44

घर की मुंडेर पर बंधा
टूटी मटकी से बना मैं 'नजरबट्टू'
अब बूढ़ा हो चला हूं
लोगों के पत्थर और नज़र सहते सहते

मानों इक उम्र बीत गयी हो।


(Read in Caption)

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11 OCT 2017 AT 1:15

जब चाहो मेरा मन बहलावे
ज्ञान की मुझको बात बतावे
करत नाही मोसे कोई हिसाब
ए सखी साजन ? नहीं किताब

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29 JUN 2017 AT 9:52

जो तुम जॉन की बात करते हो, जानी की बात करते हो
लगता है किसी मुक़द्दस गुलफाम कहानी की बात करते हो,
समुन्दरों की औकात नहीं हुई कभी जिसे नापने की
उजले बादलों से झरते मूसलाधार पानी की बात करते हो।

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24 JUN 2017 AT 7:17

दुआ है कि, कभी मेरे अल्फ़ाज़ों की कब्र पर रंगीनियां छा जाएं
शायद किसी की आबरू दागदार होने से बच जाएगी।

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