, धर्म न जाए व्यर्थ।
सत्य धर्म की रक्षा करो, होकर पूर्ण समर्थ।।
धर्म शाश्वत है, धर्म का न हो अनर्थ।
राम कृष्ण ने किया धर्म को चरितार्थ।।
दशहरा है असत्य पर सत्य की जीत का पर्व।
सदा अपने धर्म और पर्व पर हो चाहिए गर्व।।
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जब दिन रात कोई याद आने लगे, जान जाने लगे।
अब ये प्यार आदत हो गया है, इसलिए सताने लगे।।-
बोझ न समझो जीवन को, यह जीवन अनमोल है।
मेहनत किस्मत और बाधाओं से लड़ने का झोल है।।
खुशी-गम, अच्छा-बुरा, मोह-त्याग और प्रेम-घृणा का खेल है।
गर बोझ जो समझा इस जीवन को, तब ये लगता जैसे जेल है।।-
इश्क़ को आंखों ही आंखों में कैसे दबाओगे।
अंजाम की सोचोगे तो दिल कैसे लगाओगे।।-
सपने होते हैं साकार, उनको देना होता है आकार।
फिर मेहनत और क़िस्मत की होती है तकरार।।
आत्मविश्वास और संयम रखना सदा बरक़रार।
फिर सफलता की सीढ़ी चढ़ने को रहना तैयार।।-
माता के चरणों में श्रृद्धा सुमन अर्पित है।
हे मां मेरी भक्ति तुझको सादर समर्पित है।।
मां जगत जननी जग का कल्याण करो।
भटके को सत्य की राह का निर्माण करो।।
शक्ति की उपासना का ये पर्व है।
नवरात्रि में भक्तिमय नव हर्ष है।।-
अपने न रहने पर, क्या पता क्या होता है।
कैसे पता करोगे, कौन हंसता कौन रोता है।।-
जब प्रकृति करती हैं अपना क्रूर प्रहार।
विकास की हर अवधारणा हो जाती बेकार।।
प्रकृति के सामने कोई कुछ भी नहीं।
प्रकृति कब रौद्र रूप ले ले पता ही नहीं।।
गलतियों से हमने ली सीख नहीं, प्रकृति से खिलवाड़ ठीक नहीं।
परिणाम भुगतने होंगे, क्योंकि प्रकृति की हमने सुनी चीख नहीं।।
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वो दिल में द्वेष नहीं सजाते हैं।।
दूसरे की निंदा से होते पुण्य नष्ट।
करते वही, जिनकी बुद्धि है भ्रष्ट।।
दूसरों की बातें सुनकर मत खराब करो रिश्ते।
वरना अकेले रह जाओगे जीवन के बीच रस्ते।।-
हिंदी वो भाषा है, जिसमें सरलता की अभिलाषा है।
हिंदी का रूप सहज और सुमधुर रहे ऐसी आशा है।।
भाषा विचारों के आदान प्रदान का माध्यम है।
भाषा जो आसानी से संवाद करे वो उत्तम है।।
प्यारी राजभाषा हिंदी।
जैसे शोभा बढ़ाती बिंदी।।
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