ज्यादा सोचोगे तो मन की बात न कह पाओगे। ज्यादा व्यवस्थित रहोगे तो खुलके न रह पाओगे।। विपरीत परिस्थितियों को थोड़ा भी न सह पाओगे। ज्यादा बंधनों में बंधकर उन्मुक्त हो न बह पाओगे।।
कुछ मनमौजी बन अल्हड़ हो जाना ठीक है। कप को छोड़ कुछ कुल्हड़ हो जाना ठीक है।।
महावीर हैं पर दिया अहिंसा का संदेश। क्षमा वीरों का है एक आभूषण विशेष।। सत्य धर्म की राह दिखाई नहीं रहा मन में कोई क्लेश। त्याग तपस्या के लिए तन पर नहीं रखा कुछ भी शेष।।
देवता जहां अवतरित हुए ऐसा पावन भारत देश। सत्य ईमान इंसानियत ही है सब धर्मों का संदेश।।
पीछे काश, आगे सपना है।। भूत भविष्य को क्यों जपना है। जी लो वर्तमान ये जो अपना है।।
इस समय को अपना मान लिया। समय की कीमत को जान लिया।। अपनी प्रतिभा को पहचान लिया। मन मे कुछ पाने का ठान लिया।। कभी न स्वयं पर अभिमान किया। उसने सफलता को अपने नाम किया।।
है। राम कृपा से जान है।। राम भारत की शान है। राम से ही पहचान है।।
राम से बड़ा राम का नाम। जपने से बनते बिगड़े काम।। मर्यादा पुरुषोत्तम से सीखे अच्छे काम। भज मन राम का नाम सुबह हो या शाम।। मर्यादा पुरुषोत्तम नाम है। उन राम को सादर प्रणाम है।।