Harshita Hansha   (Hansa)
1.1k Followers · 813 Following

read more
Joined 30 July 2017


read more
Joined 30 July 2017
20 MAY 2020 AT 21:45

उलझन
उलझ-उलझ के उलझनों में,
कई हवाइयाॅ उड़ाई जाती है,
तिनके भी छोड़ दे जमी,वो
पीली सी इक राख उड़ाई जाती हैं,
गीली सी वही जाल बिछाई जाती हैं,
जिसमें परिंदे भी फसते हैं,
मुकम्मल तिनके की तलाश में,
कोई अपनों की आश में,
तो कोई अपनी ही आश में,
फँसता है हर वो शख्स ,
पहचानता जो खुद को नहीं,
कोसता है परछाई को,
खुद ,गुनाहगार समझ के,
तब,
वक्त बदलाव चाहता है ,,,
हाँ तुमसे और सिर्फ तुमसे।।।।।।


-


20 MAY 2020 AT 21:03

महाकाली
सृष्टि की उपज से धरती की समझ तक,
कैलाश स्वामिनी,मृदुभाषीनी, तुम ही पार्वती हो माॅ,
गजकेसरी जैसा ऋंगार, चमक हैं परलौकिक,
उद्गम से अंत की, तुम ही आधारशिला हो माॅ,
कण-कण में सुशोभित, कांति सती जैसी,
दुर्जन से सज्जन की ,उपवासक हो माॅ,
मैं तेरी माटी की इक कण,
निष्ठूर हो चली हूँ,
मुझमें प्राण फूंक दो माॅ। ।

-


21 FEB 2020 AT 0:17

नाकाम हुई कोशिश तारीफें हजार करके,
और फिर तुम गजलों में,
हम मयखाने में बैठे हैं,,,

-


20 FEB 2020 AT 18:56

सिलसिले तामिर की चिंगारी फेक रही हैं,,
पिछले जन्म के पाप, धोनी पड़ रही है,,,,
रगड़न तकलूफ के सीने में हमारे,,,,
नाजानू कैसी खुशनसीबी के हूँ सहारे ,,,,,

-


20 FEB 2020 AT 15:22

ख्याल तेरे ख्यालों की तरकस पर सवार ,
गुमनामी की तरफ गुम हूँ,
वासुंदी हकीकत अजीब हूँ,
सराफत की तलवार लिए हुए,,,,
हूँ ज्योति पर स्पर्श विहीन हूँ।

-


15 FEB 2020 AT 14:17

हूँ सुकून बेगैरत दिल के इरादों की,
कमी बन जाती हूँ, खुद के सलाखों की,
ना हमसे तालुक रखना, ऐ मेरे दोस्त,
इबादतन मैं भी फरियाद कर लेती हूँ,
खालिस्तान के शाखों की,,,,,,,

-


31 JAN 2020 AT 21:09

कुछ कदमों की दूरियों में,
हमने फासले कई तय किए हैं,
जज्बाती हैं मेरी बातें,
वो सारे तुमने सुने हैं,,

-


26 SEP 2018 AT 12:48

दीमक की काली राख से,
चाहते हो रंगना मुझे,
पर उभरा हैं चेहरा तेरा,
जैसे तना-तनी हो कपास पे,
पीला पड़ गया ये श्रृंगार तेरा,
मेरी विनम्र हरी घास पे,
फिर से वेदना की,, हो कसौटी,
बस ये अमृत-पान हो विराम से,,,



-


27 JAN 2020 AT 20:44

कुछ शुन्य जिंदगी में, वक्त के साथ आता हैं,
फिर ना इंकार होता हैं, ना इजहार होता हैं,

-


26 JAN 2020 AT 23:46

चुनाव अविरक्त सा द्वीभावों में उतपन्न हो गया हैं,
हवाएँ गुमान भरी पर अल्फाज़ो में अकड़न हो गया हैं,,

-


Fetching Harshita Hansha Quotes