मेरा मन मुझसे कहता है,
पागल कितनों को सहता है?
क्यों ऐसे ही तू रहता है?
अब ऐसे रहना छोड़-छोड़,
सीधे रस्ते को मोड़-मोड़!
मैंने भी मन को बता दिया
एक बात कहा,और जता दिया,
पुरुषोत्तम वो जो शहनशील,
तुझको क्यों चूभती कील-कील?
मेरा मन ढीठ चुप ना रहा,
मुझसे दूरी ना उसने सहा,
उसने भी पलटकर मुझसे कहा,
तू महान और तेरी सोच,
पर लोग निकालेंगे इसमें खोट!
उसपर भी ना मैं मौन रहा,
अगले ही पल मैं लपक कहा,
उनको उनका कहने दे रे मन,
सफ़ल बने उन सबका जीवन!
अपने करम मैं किया करूँगा,
उनके लिए ही जीया करूँगा!
तब जाकर मन हाथ जोड़,
कहता मुझसे शब्दों को तोड़,
तू कलयुग का है राम-राम
कर ले पूरा हर काम-काम!
-
संघर्षों की सीढ़ी बना,
वो आसमान तक चढ़ता,
सूर्यास्त संग निकला,
वो तिमिर छाने पर भी न
ठहरता है..वो दिन–रात
को भला कहां मानता है ,
वो सर्दी, गर्मी बरसात
भला कुछ कहां जानता है ,
बाहर की सख्ती, नरमी
कोई असर नहीं रखती,
वो सारे के सारे मौसम
अपने ही अंदर रखता है।
मंज़िल नहीं चुनी उसने कोई,
अनवरत राहों का शैदाई है।
आसमान का चंदा भी बैठा
अपनी चौखट पर कबसे
उसके आने की राह तकता है।-
वहीं जो खुद नियंत्रित हो !
जिसकी इंद्रियां संयमित हो !!
सर्व गुणसंपन्न हो वो, ना किसी के वश में हो !
सत्यनिष्ठ कर्मनिष्ठ कूट-कूट आचरण में हो!!
ज्ञान का भंडार हो,तेज मुखमंडल पे हो !
लोभ-मिथ्या,अहंकार ना किसी से द्वेष हो!!
ऐसी गरिमा होगी जिसमें ,वो मेरा बिग बॉस हो!!
🙋♀️🙂🙋♀️-
मैं कर्मवीर हूं, कर्म की रोटी खाता हूं।
हाथों से किस्मत की किस्मत चमकाता हूँ।।
मैं शूरवीर हूं, शौर्य का तिलक लगाता हूँ।
सहस्त्रबाहु बन, मैं रिपुदमन कहलाता हूँ।।
मैं परमवीर हूँ, नित प्राणों को आहूत करता हूँ।
प्रताप-पृथ्वी तो कभी भगतसिंह बन
… माँ भारती की लाज बचाता हूँ।
मैं धर्मवीर हूँ, हर धर्म को खुद में जीता हूँ।
चाहे हो गीता, कुरान या हो बाइबल,सबको
शीश नवा कर, सहिष्णु हिन्द को बनाता हूँ।
मैं धैर्यशील हूँ, पत्थर तो कभी गोली खाता हूँ।
फिर भी दिन रात तेरी रक्षा में खड़ा रहता हूँ।
पर याद रहे... जब जब तू खेले रक्त की होली
तब तब मैं महाकाल का प्रचण्ड रूप धर लेता हूँ।-
मसला यह एक कोशिश का है।
बुद्धि विवेक ,थोड़ा प्रयास
हर मुश्किल हल कर देते है,
धैर्य का दामन थामे रहते
विश्वास स्वयं पर रखते है,
जिजीविषा वाले कर्मवीर
हर मुश्किल हल कर लेते है।।-
बात बात पर बोलनेवाला बड़बोला कहलाता है ।
मिलता नहीं है यश कहीं , हर पथ पर ठोकर खाता है ।।
करे जो कथनी करनी एक कर्मवीर कहलाता हैं ।
सत्यवादी कर्तव्यनिष्ठ , हर जगह सम्मान पाता है ।।-
कुछ इच्छाएँ,मजबूरियाँ,करा रहे हैं कर्म,
सब श्री चरणों में सौंपकर,
तू करता चल बस कर्म!-
🙏कोरोना कर्मवीर (शिक्षक)🙏
बेशक डॉक्टर्स पुलिसकर्मियों का सम्मान हो जाए,
पर एक नजर जरा इन शिक्षकों पर हो जाए!
लगे हैं जो कोरोना के खिलाफ जंग में,
क्यों न इनकी भी थोड़ी सराहना हो जाए!!
राशन बांटना काम नहीं था, ना चेक पोस्टे इनकी थी!
"Quarantine centers" में सेवाभक्ति इनकी थी!!
शिक्षक की तशरीह इन्होंने पूरी कर दिखलाई हैं,
परोपकार की भावना, देखो हमें बताई है!
गांवों में सर्वे करके ,जन जागरूकता समझाई,
देखो आज शिक्षकों ने,क्या अहम भूमिका निभाई !!
(तशरीह- व्याख्या)-
'कर्मवीर' को फर्क ना पड़ता
किसी हार या जीत का,
गिर जाये तो उठकर चलना
चस्का कर्म की प्रीत का...-